Friday, November 22, 2024
Samastipur

समस्तीपुर के इस मंदिर में माता की महिमा से पूरी हुई मुरादें, आने वाले 35 वर्षों तक श्रद्धालुओं ने दर्ज करवाया है नाम

 

समस्तीपुर।हसनपुर प्रखंड के सकरपुरा स्थित मनोकामना दुर्गा मंदिर वाली माता की महिमा की एक अलग ही ख्याति है। इस मंदिर में पिछले 69 सालों से मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर माता के वैष्णवी रूप की पूजा होती आ रही है। शारदीय नवरात्र में गांव के लोग मन्नतें लेकर मंदिर पहुंचते हैं। जिन श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी हो जाती है, वे मंदिर में प्रतिमा निर्माण करवाते हैं। साल 2059 तक प्रतिमा निर्माण करवाने के लिए श्रद्धालुओं ने अपना नाम दर्ज करवा लिया है।

पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि प्रतिमा निर्माण के लिए जो श्रद्धालु इच्छुक होंगे वे 2059 के बाद अपना नाम दर्ज करवा सकते हैं। ऐसी ख्याति है कि शारदीय नवरात्र में मंदिर पहुंचकर कृपा लेने वाले श्रद्धालुओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इसी को लेकर सकरपुरा सहित दूर दराज के गांवों से श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर पुत्र प्राप्ति के लिए कृपा लेते हैं। गांव के बुजुर्ग लोगों का बताना है कि, माता की कृपा से कई घरों में संतान प्राप्ति की खुशहाली आई है।

बताया जाता है कि 69 साल पहले गांव के लोगों ने आपसी सहयोग से माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना किया। उसके बाद गांव के लोगों की आस्था बढ़ती गई, और विधि व्यवस्था भी बढ़ गई। ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। हर साल जिन लोगों की मन्नतें पूरी होती है, वे माता की प्रतिमा बनवाते हैं। ऐसे तो सालों भर इस मंदिर में सुबह-शाम पूजा-अर्चना व आरती होती है। लेकिन शारदीय नवरात्र में यह मंदिर आस्था का केंद्र बन जाता है। नवरात्र के पहले दिन से विजयादशमी सहित प्रतिमा विसर्जन तक मंदिर परिसर में उत्सव सा माहौल व्याप्त रहता है।

इस शारदीय नवरात्र में इस साल भी श्रद्धा व उल्लास के साथ माता की पूजा-अर्चना की जा रही है। सकरपुरा स्थित मनोकामना मंदिर की एक अलग ही विशेषता है। अधिकतर मंदिरों में तो सप्तमी में ही मां का पट खुल जाता है। लेकिन इस मंदिर में निशा पूजा के बाद मां का पट खुलता है। पट खुलते ही माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगती है। सकरपुरा स्थित आसपास के गांवों से महिलाएं खोंइछा भरने के लिए मंदिर परिसर पहुंचती है। विजयादशमी तक कृपा लेने के लिए भी मां के भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। इस दौरान ढोल बाजे के साथ माता के जयकारे से माहौल भक्तिमय बना रहता है। यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है।

Kunal Gupta
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