समस्तीपुर में कन्या भोज और भंडारा का आयोजन:कन्याओं के पैर छूकर लिया आशिर्वाद
समस्तीपुर.नवरात्र के अंतिम दिन शुक्रवार को शहर के विभिन्न मंदिरों से लेकर जगह-जगह मोहल्लों व टोलों में कन्या भोज भंडारा का आयोजन किया गया। कन्या भोज में जहां कुंवारी कन्याओं को भर पेट भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा और उपहार आदि देकर विदा किया गया। वहीं भंडारों के आयोजनों में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। दलसिंहसराय में भी कई जगहों पर कन्या पूजन का आयोजन किया गया.
शहर के रेलवे कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर के अलावा शिव दुर्गा मंदिर, पुरानी दुर्गा स्थान मंदिर समेत विभिन्न मंदिरों में दोपहर बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन खिलाने का कार्यक्रम शुरू हुआ। पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया।इसी तरह भंडारे में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। मंदिरों के अलावा घरों में कलश स्थापना करने वालों ने भी जगह-जगह कुंवारी कन्या भोज का आयोजन किया।
नवरात्रि कन्या पूजन से जुड़ी पौराणिक कथा
शास्त्रों के अनुसार, इंद्र देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर कन्या पूजन किया था। दरअसल, इंद्रदेव देवी मां को प्रसन्न करना चाहते थे। अपनी इच्छा को लेकर इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्हें माता दुर्गा को प्रसन्न करने का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि, देवी माता को प्रसन्न करने के लिए आपको कन्याओं का पूजन करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए।
ब्रह्मा जी की सलाह के बाद इंद्रदेव ने माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद कुंवारी कन्याओं का पूजन किया और उन्हें भोजन करवाया। इंद्रदेव की सेवा भाव को देखकर माता प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि तभी से कन्या पूजन की परंपरा शुरू हुई।
कन्या पूजन का महत्व नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। पूजन में 9 कन्याओं को ही बुलाने की परंपरा है। जिन्हें माता दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है, इसके साथ ही एक बटुक भी कन्याओं के साथ होना चाहिए जो भैरव का रूप माना जाता है।जो भी भक्त विधि-विधान से माता की पूजा आराधना करते हैं और कुमारी कन्याओं का पूजन करते हैं उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कन्या पूजन करने से माता की कृपा आप पर बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि रहती है।