इंटरनेट की लत खतरनाक,दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करता है जिस हिस्से पर ड्रग्स और शराब करती है असर
पटना.helth :गया.इंटरनेट एडिक्शन के फैक्ट्स पर साइबर एक्सपर्ट ने डिजाइन किया कोर्स सिटी रिपोर्टर| गया आज 18 साल तक के युवा औसतन 5-6 घंटे तक प्रतिदिन इंटरनेट का प्रयोग करते है। एक रिसर्च के मुताबिक देश मे 92% युवा इंटरनेट यूजर हैं। एक अन्य रिसर्च से यह भी पता चला है कि इंटरनेट की लत दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करता है जिस हिस्से पर ड्रग्स और शराब असर करती है। कई मेडिकल हॉस्पिटल में ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं। सप्ताह में अगर आप 30-35 घंटे भी इंटरनेट का प्रयोग करते हंै। तो यकीन मानिए आप इंटरनेट के एडिक्ट हो चुके हैं। यह स्थिति गंभीर है। आज के युवा ऑनलाइन गेमिंग, शॉपिंग, पोर्न, सेक्सुअल चैट, सोशल मीडिया आदि का प्रयोग प्रमुखता से करते हैं।
ऐसे युवाओं के फंक्शन एमआरआई में पता चला है कि मस्तिष्क का स्ट्रांयल न्यूक्लियर डोपामीन जीर्क सिस्टम प्रभावित होता है। इससे एक ही कार्य करने का बार-बार मन करता है। इससे रोजमर्रा की जीवन शैली प्रभवित होती है। यह सिस्टम डोपामिन हार्मोन रिलीज़ करता है जो इंसान के मूड को नियंत्रित करता है। सामने आए नए तथ्यों पर साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट दीपक कुमार ने एक कोर्स डिज़ाइन किया है। दीपक कुमार कई रुप में हो सकती है इंटरनेट के नशे की पहचान इंटरनेट की लत से आदतों में भी परिवर्तन दीपक ने कहा कि इंटरनेट के नशे की पहचान कई रुप में की जा सकती है।
जैसे गूगल पर इंटरनेट डिसऑर्डर टेस्ट किया जा सकता है। इसमें कई प्रश्न पूछने पर एडिक्शन का लेवल पता चल जाता है। बच्चे से लेकर युवा तक दिन भर मोबाइल में व्यस्त रहते हंै। बात-बात पर चिड़चिड़ापन, एकाग्रता खोना, किसी काम या पढ़ाई में मन नहीं लगना, देर रात तक जागना ये लक्षण होते हैं। साथ ही आत्महत्या की धमकी देना, कोई भी चीज नेट पर सर्च करना भी आदतों में शुमार हो जाता है। इस तरह के इंटरनेट एडिक्शन के इलाज के लिए पहले काउंसिलिंग के अलावा दोस्त और परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने की सलाह दी जाती है। बगैर जरुरत डिजिटल डिवाइस का प्रयोग न करने और इंटरनेट से दूर रहने की भी सलाह दी जाती है।
इससे ज्यादा गंभीर मामलों मंे इन्हे हॉस्पिटल मे भर्ती करने व इलाज की बात कही जाती है। बताया कि इंटरनेट की लत से देर रात सोने और असमय खाना खाने जैसी आदतों में भी परिवर्तन हो रहा है। आज युवा इंटरनेट की अनुपलब्धता से डरते हैं। थोड़ी देर भी इंटरनेट नहीं रहे तो अजीब सा डर, बेचैनी, घबराहट, चिंता और उदासी के लक्षण सामने आते हैं। अगर उनके हाथ से डिवाइस ले लिया जाए तो ऑक्सीजन की कमी की तरह वे महसूस करने लगते हैं। ज्यादा समय इंटरनेट पर बिताने के बाद भी ऑफलाइन जाना मुश्किल होता है। इंटरनेट के नशे का आदी युवा खुद से और अपनों से झूठ बोलना तक शुरू कर देता है। इसके नशे के कारण युवाओं मे अनिद्रा, सिरदर्द, पीठ दर्द, वजन बढ़ना या कम होना, आंखों की समस्या जैसी बीमारी आम बात हैं। ऐसे लोग खुद पर भी ध्यान नहीं देते है जैसे खाना खाते समय मोबाइल देखना, नहाने मंे देर करना, सोने मे देर करना, उठते ही सोशल मीडिया पर एक्टिव होना आदि साइड इफेक्ट सामने आते हैं।