बिहार पुलिस का कारनामा :दबंगों ने जिसे पीटा,वही गया जेल:पुलिस पर आवेदन बदलने का आरोप
पटना.वैशाली के लालगंज थाना क्षेत्र के पोंझिया का एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है जिसमें साफ तौर पर यह देखा जा सकता है कि एक युवक को मारते पीटते और घसीटते हुए कुछ लोग टांग कर ले जा रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज बीते 07 सितम्बर का है।
वीडियो को लेकर बताया गया है कि पोझियां गांव निवासी राज कुमार चतुर्वेदी के पुत्र आलोक कुमार चतुर्वेदी जब मुजफ्फरपुर स्थित एसकेजे लॉ कॉलेज से लॉ के फाइनल ईयर का परीक्षा देकर अपने घर लालगंज लौट रहा था। तभी पोंझिया पेट्रोल पंप के समीप उसे राजेश तिवारी, विक्रम तिवारी सहित कई लोगों के द्वारा पकड़ लिया गया। मारते पीटते हुए राजेश तिवारी अपने घर ले गए तथा उसे राजेश तिवारी अपने घर में कैद कर उसके साथ मारपीट करने लगा तथा जहरीला पदार्थ का भी उसे सेवन कराया गया।
घटना की जानकारी आलोक चतुर्वेदी के परिजन तथा ग्रामीणों को हुई। घटना की सूचना मिलते ही राजेश तिवारी की घर सैकड़ों की संख्या में स्थानीय ग्रामीण पहुंच गए। ग्रामीणों द्वारा कहे जाने के बावजूद राजेश तिवारी ने कैद किए हुए आलोक चतुर्वेदी को नहीं छोड़ा। जिसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद बंधक बना युवक को पुलिस ने छुड़ाकर इलाज कराने के लिए अस्पताल ले गई जिसके बाद पुलिस आलोक चतुर्वेदी को लालगंज थाना ले गई। ब्रेथ एनालाइजर से जांच की और परिजनों को बोला की जेल जाएगा।
जबकि पुलिस ने जमीनी विवाद मामले में एक प्राथमिकी दर्ज कर आलोक कुमार को जेल भेज दिया। एफआईआर के संबंध में जेल गए आलोक चतुर्वेदी के परिजन सहित ग्रामीणों को भी भनक नहीं थी, और 7 तारीख को एफआईआर करने वाले धर्मनाथ तिवारी के भतीजा राजेश तिवारी एवं परिवार के अन्य लोग के द्वारा आलोक चतुर्वेदी पेट्रोल पंप से घसीटते हुए मारते-पीटते अपने घर ले जा रहे हैं।
अब मामला में ट्विस्ट आती है जो आलोक चतुर्वेदी जेल जा रहा था वह जेल जाने के क्रम में लालगंज थाना को एक आवेदन देता है, जिसमें उसके साथ मारपीट करने वाले लोगों की नाम दी हुई थी साथ में यह दर्शाया गया था कि राजेश तिवारी एवं उनके गुर्गे के द्वारा जान मारने के नियत से जहरीली शराब भी पिलाई गई थी।
पीड़ित उक्त आवेदन को लालगंज थाना पर तैनात S I सीमा सिन्हा रिसीव करती है और रिसीविंग कॉपी आवेदक को दे देती है। आवेदन प्राप्ति के कुछ ही मिनट बाद जेल भेजे गए आवेदक आलोक चतुर्वेदी के परिजनों को लालगंज थाना से फोन कर बुलाया और उक्त आवेदन को लेकर फाड़ दिया। तब तक आलोक चतुर्वेदी के परिजन उक्त आवेदन की मोबाइल में फोटो ले लिया था। जो फोटो जिले के एसपी डीएसपी सहित कई पदाधिकारी को भेजी गई है।
जिसके बाद यह मामला जंगल की आग की तरफ फैल गई। फिर आनन फानन में पुलिस के द्वारा जेल भेजे जा रहे आलोक चतुर्वेदी से एक आवेदन लिखवाया गया एफआईआर भी दर्ज की गई है।
जिसके बाद लालगंज पुलिस की दोहरी नीति सामने आई है जहां एक तरफ जिस व्यक्ति को मारपीट कर घर में कैद की गई थी पुलिस उस व्यक्ति को ही जेल भेज दी लेकिन कैद करने वाले व्यक्ति पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं की खानापूर्ति के लिए आलोक चतुर्वेदी के आवेदन के आधार पर एफआईआर दर्ज कर दी है।
लेकिन जहां 4 सितंबर को भूमि विवाद के मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज करती है 6 सितंबर को जांच करती है और 7 सितंबर को आवेदक के घर में ही कैद आलोक चतुर्वेदी को पुलिस बरामद करती है और फिर आलोक चतुर्वेदी को ही जेल भी भेज देती है।
वही जब 8 सितंबर को आलोक चतुर्वेदी के आवेदन के आलोक में एफआईआर दर्ज की गई तो आज तक पुलिस आलोक चतुर्वेदी को कैद करने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं कि यह सवाल लालगंज पुलिस के लिए, लालगंज पुलिस की दोहरी नीति के लिए और जनता और पुलिस की फ्रेंडली व्यवहार के लिए बनकर रह गई है। वहीं इस मामले में लालगंज थाना के खिलाफ जांच करने तथा इंसाफ मांगने के लिए जेल गए आलोक चतुर्वेदी की भाभी ने वैशाली एसपी को लिखित आवेदन दिया है