Saturday, September 28, 2024
Samastipur

समस्तीपुर:अनुत्पादक बागों में जीर्णोद्धार तकनीक का परीक्षण करने की जरूरत,लीची के बारे में बताया 

समस्तीपुर: पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ कृषि विज्ञान केन्द्र बिरौली के वैज्ञानिकों ने किसानों के प्रक्षेत्र पर लीची के पुराने एवं अनुत्पादक बागों में जीर्णोद्धार तकनीक का परीक्षण किया गया. वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ आरके तिवारी ने बताया कि लीची के बाग प्रायः लगभग 35-40 वर्षो में घने हो जाते हैं और ऐसे वृक्षों के नीचे लंबी-लंबी शाखाएं व डालियों की अधिकता हो जाती है. इनमें ऊपर के भाग में ही कुछ पत्तियां और मंजर लगते हैं.

 

ऊपर की ओर वृक्षों का क्षेत्रक आपस में मिलकर सघन हो जाते हैं. इससे वृक्ष क्षेत्र के अंदर सूर्य का प्रकाश व वायु के संचरण में बाधा पड़ती है. परिणामस्वरूप कीटों एवं बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है. उत्पादन भी कम हो जाता है. पुराने बागों को हटाकर फिर से नये बाग लगाना एक दीर्घकालीन एवं खर्चीला विकल्प होता है जबकि जीर्णोद्धार तकनीक की उचित वैज्ञानिक पहलुओं को अपनाकर लीची के पुराने अनुत्पादक बागानों को गुणवत्तायुक्त अधिक उत्पादन करने की स्थिति में लाया जा सकता है. जीर्णोद्धार करने के तीन साल बाद से फलन आना भी प्रारंभ हो जाता है.

 

 

केन्द्र के उद्यानिकी विशेषज्ञ डॉ धीरू कुमार ने बताया कि जीर्णोद्धार करने के लिए पौधों की चुनी हुई शाखाओं को जमीन से 2-3 मी. की ऊंचाई पर चाक या सफेद पेंट से चिन्हित करते हुए तेज धार वाली आरी या मशीन चलित प्रुनिंग सॉ की सहायता से अगस्त-सितम्बर माह में काटते हैं. कटाई के तुरंत बाद कटे भाग पर बोर्डो मिश्रण अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को अरंडी के तेल या पानी में मिलाकर पेस्ट कर देते हैं. कटाई के बाद पौधों के तनों में धरातल से 5-6 फुट की ऊंचाई तक चूना एवं तूतिया या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का घोल बनाकर पुताई कर देते हैं.

 

कटाई के बाद पौधों के चारों तरफ तनों से 1.5 से 2.5 मीटर की दूरी पर 30-40 सें.मी. गहरी एवं इतना ही चौड़ा वलय/नाली बना दें. उनमें प्रत्येक पौधे को 1 किग्रा. यूरिया, 2 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 1 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 200 जिंक सल्फेट व 50 किलोग्राम अच्छी सड़ी गोबर की खाद को अच्छी तरह मिलाकर नाली विधि द्वारा दें. समयानुसार सिंचाई भी करते रहना चाहिए. जीर्णोद्धार करने के 40-60 दिनों बाद से ही सुसुप्त कलियों से नये-नये कल्ले निकलने लगते हैं.

 

 

आवश्यकतानुसार प्रत्येक डाली में ऊपर की ओर कोण बनाती हुई कुछ स्वस्थ कल्लों को छोड़कर बाकी सभी नये कल्लों को सिकेटियर या तेज धार वाली चाक़ू की सहायता से काटकर हटा दिया जाता है. प्रत्येक वर्ष अगस्त-सितम्बर माह में वृक्षों के तनों पर धरातल से 5-6 फीट की ऊंचाई तक बोर्डो मिश्रण के घोल से पुताई करना बहुत ही आवश्यक है. जीर्णोद्धार के पश्चात नये बाग़ की तरह बाग के खाली भाग में समयानुसार वर्ष भर विभिन्न अंतर्वर्ती फसलों को लगाकर भी खाली जमीन का सदुपयोग के साथ-साथ अतिरिक्त लाभ भी कमाया जा सकता है. कीट एवं रोगों का प्रकोप होने की दशा में विशेषज्ञों से सलाह लेकर उचित प्रबंधन करना चाहिए.

Pragati

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!