काबर झील की जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक:सड़क पर उतरे किसान,जताया विरोध
बेगूसराय के काबर झील की जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी गई है। सर्वे में रैयत के रूप में किसानों का नाम देने के बदले वन विभाग का नाम दिया गया है। इसको लेकर आक्रोशित होकर सैकड़ों किसान आज सड़क पर उतर आए। इन्होंने मंझौल में छह से अधिक जगहों पर सड़क जाम कर यातायात पूरी तरह से ठप कर दिया।
सिउरी पुल से लेकर चेरिया बरियारपुर तक विभिन्न जगहों पर यातायात ठप रहने के कारण लोगों को काफी परेशानी हुई। किसान किसी को भी गुजरने नहीं दे रहे थे। सड़क जाम की सूचना पर चेरिया बरियारपुर के बीडीओ, मंझौल और चेरिया बरियारपुर थानाध्यक्ष किसानों को समझाने पहुंचे। लेकिन, किसान कुछ भी मानने को तैयार नहीं थे।
करीब 5 घंटे तक सड़क जाम रहने के बाद मंझौल के एसडीओ ने किसानों के प्रतिनिधि मंडल से बातचीत की और सकारात्मक आश्वासन दिया। इसके बाद किसान सड़क पर से हटे और यातायात सुचारु हो सका। इस संबंध में संदीप ईश्वर और रामानंद सिंह सहित अन्य किसानों ने बताया कि काबर में हम लोगों के पूर्वजों की जमीन है।
किसान पलायन करने को होंगे मजबूर
किसानों के अनुसार 40 साल से सरकार इस मामले को उलझाए हुए हैं। किसानों को सरकार ने अंधेरे में रखा है। सरकार बदल गई। लेकिन किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ। अब किसानों की जमीन हड़पने की साजिश रची जा रही है। मजदूर तो पलायन कर गए, अब किसान भी पलायन करने को मजबूर होंगे।
किसान ने कहा है कि हमारी रोजी-रोटी का सवाल है। इसलिए, ‘काबर बचाओ महा पंचायत’ के बैनर तले हम लोग आज सड़क पर आए हैं। हमारी लड़ाई प्रशासन या पुलिस से नहीं, हमारी लड़ाई सरकार से है। सरकार को जगाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से हमने बंद का आह्वान किया। अभी जो सर्वे चल रहा है, उसमें वन प्रमंडल ने काबर की जमीन को अपनी जमीन बताई है।
सड़क पर उतरे किसान
किसानों ने बताया कि रैयत का नाम काटा जा रहा है। सर्वे में रैयत का नाम पड़ना चाहिए। साल 2013 से जमीन की रजिस्ट्री पर लगी रोक को हटाना चाहिए। 40 साल से सरकार को जब मन होता है, बंदर बांट कर रही है। अब हमारी रैयती जमीन को वन विभाग और पर्यावरण विभाग की जमीन बताकर लफड़ा लगाया जा रहा है। इस काबर के लिए लाखों-लाख का अलॉटमेंट हो रहा है।
किसान मजबूर हो गए हैं, जिसके कारण सड़क पर उतरना पड़ा है। जब-तक हमारा काबर हम रैयत के नाम से वापस नहीं होगा, रजिस्ट्री की शुरुआत नहीं होगी, तब-तक किसान आंदोलन करते रहेंगे। इस दौरान किसानों में काफी आक्रोश दिखा। मंझौल बाजार की दुकान सभी भी बंद रही।