गया में डेढ़ लाख तीर्थयात्रियों ने अबतक किया पिंडदान, प्रेतशिला वेदी स्थलों पर रही भीड़
पटना.गया. पितृपक्ष मेला के तीसरे दिन गुरुवार को उत्तर मानस, पंच तीर्थ, प्रेतशिला सहित कई अन्य वेदी स्थलों पर देश के विभिन्न राज्यों से आये डेढ़ लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने अपने पितरों की आत्मा को ठौर दिलाया. भादो पूर्णिमा व आश्विन मास की पहली तिथि के एक ही दिन होने से जो तीर्थयात्री 18 सितंबर को प्रेतशिला, रामशिला, राम कुंड व कागबलि वेदी स्थलों पर पिंडदान नहीं कर सके थे, उन्होंने गुरुवार को इन वेदी स्थलों पर अपने पूर्वजों का कर्मकांड पूरा किया.
सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति के लिए पंचतीर्थ में किया श्राद्ध
विधान के तहत इसके बाद तीर्थयात्रियों ने सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति के लिए पंचतीर्थ में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण किया. विधान के तहत तीर्थयात्रियों ने भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान भी कराया. मान्यता है कि भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान नहीं कराने वाले श्रद्धालुओं के पिंडदान का कर्मकांड निष्फल हो जाता है. इसी विधान व मान्यता के तहत रविवार को श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति की कामना को लेकर पंच तीर्थ वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड पूरा किया.
पांच वेदी स्थलों पर भी पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान
मान्यता है कि पंच तीर्थ श्राद्ध करनेवाले पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. इन वेदी स्थलों पर श्राद्धकर्म करनेवाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पंच तीर्थ विधान के तहत शहर के पिता महेश्वर मुहल्ला स्थित उत्तर मानस वेदी व शहर के दक्षिणी क्षेत्र विष्णुपद के पास सूर्यकुंड, उदीची, कनखल व जिव्हालोल वेदी है. इन पांच वेदी स्थलों पर भी पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान है. धामी पंडा भवानी पांडेय ने बताया कि इन पांच वेदी स्थलों पर पिंडदान करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति होने की मान्यता है व पिंडदान का कर्मकांड करने वाले श्रद्धालुओं को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
उत्तर मानस वेदी पर पिंडदान के कर्मकांड का विधान
उन्होंने बताया कि पंचतीर्थ श्राद्ध में सबसे पहले उत्तर मानस वेदी पर पिंडदान के कर्मकांड का विधान है. इस कर्मकांड को पूरा करने के बाद श्रद्धालु मौन रहकर दक्षिण मानस वेदी यानी सूर्यकुंड, उदीची, कनखल व जिव्हालोल वेदी पर पिंडदान का कर्मकांड किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस विधान के तहत पंच तीर्थ वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण करने वाले सभी श्रद्धालु विष्णुपद स्थित भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान कराकर उनका पूजन किया. ऐसा करने से श्रद्धालुओं को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.