मां की ममता:बेटे ने भेजा वृद्धाश्रम; उसी की लंबी आयु के लिए कर रहीं हैं जिउतिया, कहा-संतान लायक नहीं, पर..
पटना.भागलपुर.जिन बेटों ने अपनी मां की ममता को ठुकराकर उन्हें वृद्धाश्रम में पहुंचा दिया, उन्ही की लंबी आयु के लिए वह जिउतिया व्रत कर रहीं हैं। ये महिलाएं अब अपने घर वापस नहीं जाना चाहती हैं। उनका कहना है कि उनके बेटों ने भले ही उन्हें घर से निकालकर वृद्धाश्रम में भेज दिया, पर वह अपने बेटे की हमेशा दीर्घायु और स्वस्थ होने की कामना करती हैं।
क्योंकि नौ महीने अपने कोख में रखा है और दूध पिलाया है। भागलपुर के सहारा वृद्धाश्रम में 42 बुजुर्ग हैं। इनमें 32 महिलाएं और दस पुरुष हैं। दस महिलाएं जिउतिया कर रहीं हैं। वृद्धाश्रम का संचालन उमंग बाल विकास पटना द्वारा किया जाता है। वृद्धाश्रम के सचिव सतीश कुमार ने बताया कि व्रत करने वाली महिलाओं के लिए पूजा-पाठ की विशेष व्यवस्था की गई है।
पति की मौत के बाद बेटों ने घर से निकाला
वृद्धाश्रम में रह रहीं पीरपैंती की विमला देवी ने बताया कि उनके तीन बेटे और चार पोते हैं। पति की मौत काफी पहले हो गई। तीनों बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। जिसके बाद वह यहां आ गईं। पिछले चार साल में परिवार के किसी भी सदस्य ने उनकी सुध नहीं ली। वह अब अपने घर वापस नहीं जाना चाहती हैं, पर बेटों की सलामती के लिए आज भी व्रत करती हैं।
बेटों ने पीटा और वृद्धाश्रम पहुंचा दिया
बांका की रहने वाली रूबी कुमारी ने बताया कि उनके पति का देहांत बहुत पहले ही हो गया। कठिन परिस्थितियों के बाद भी अपने चार बेटों का पालन-पोषण किया। बेटे जब बड़े हो गए तो पीटना शुरू कर दिया और कुछ दिन बाद उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ गए। वह 2014 से यहां पर रह रही हैं। मारपीट के बाद भी वह बेटों की लंबी उम्र के लिए जिउतिया करती हैं। उन्होंने इस व्रत को अब तक नहीं छोड़ा है।
बहू-बेटे करते थे मारपीट, फर्ज नहीं निभाया
कटिहार की रहने वाली मुन्नी देवी ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं। तीनों अपने परिवार के साथ दूसरे राज्य में रहते हैं। 2014 में पति की मौत हो गई। बेटे और बहू अक्सर मारपीट किया करते थे। किसी भी बेटे ने उन्हें अपने साथ नहीं रखा। इसके बाद 2021 में वह यहां आ गईं। बेटों ने अपना फर्ज नहीं निभाया पर मैं उन सभी की लंबी आयु के लिए जिउतिया व्रत करती हूं, क्योंकि नौ महीने उसे मैंने अपनी खून से सींचा है और दूध पिलाया है।
बच्चों ने नहीं रखा अपने साथ
पूर्णिया की रहने वाली निर्मला देवी ने बताया कि पति का निधन बहुत पहले ही हो गया। उन्हें पांच बेटे और बेटियां है। सभी बाहर रहते हैं। बच्चों ने मुझे अपने साथ नहीं रखा, इसलिए मैं यहां आ गई। 2022 से मैं यहां रह रही हूं। बच्चे जहां भी हैं, खुश रहें। मैं उनलोगों की सलामती के लिए 42 वर्ष से लगातार जिउतिया व्रत कर रही हूं। संतान लायक नहीं हैं, पर मैं उनलोगों का बुरा नहीं चाह सकती हूं। Ki io