Saturday, September 21, 2024
Patna

याददाश्त कमजोर कर रहा मोबाइल, बन रहा अल्जाइमर की वजह, रहे सावधान 

World Alzheimer’s Day:पटना.आज के डिजिटल युग में मोबाइल और इंटरनेट का बढ़ता उपयोग लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम से भूलने और भ्रम की स्थितियां उत्पन्न हो रही है, इससे अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. शोध बताते हैं कि अब केवल बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि बच्चे और युवा भी इस समस्या से प्रभावित हो रहे हैं.

 

 

मालूम हो कि, अल्जाइमर दिमाग से जुड़ी ऐसी बीमारी है, जो ब्रेन के उन हिस्सों को प्रभावित करती है, जो इंसान को सोचने, समझने, याद रखने तथा भावनाओं को प्रकट करने में मदद करते हैं. इस बीमारी के मरीज उस पड़ाव पर होते हैं, जहां उन्हें समझना और उन्हें समझाना दोनों ही कठिन होता है.

 

आइजीआइएमएस में आ रहे 10-15 मामले

आइजीआइएमएस पटना के मनोचिकित्सक विभाग के डॉ राकेश शर्मा ने बताया कि पहले कुछ लोगों का यह मानना था कि बढ़ती उम्र के साथ यह समस्या आम है, लेकिन अब ऐसा नहीं है. दरअसल विभिन्न प्रकार के तनाव की वजह से कम उम्र में भी लोग इस बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं. अब ऐसे लोगों के लिए अस्पताल में अलग से काउंसलिंग की व्यवस्था कराई जा रही है. लोगों को मनोचिकित्सा विभाग भेजा जा रहा है. पहले की तुलना में अब लोगों को ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि आइजीआइएमएस में महीने में 10-15 मामले आते हैं. जिसमें हर उम्र के लोग शामिल हैं.

 

सेल फोन का रेडिएशन सबसे घातक

वैज्ञानिकों के मुताबिक, सेल फोन के रेडिएशन से दिमाग के सेल्स में कैल्शियम का लेवल बढ़ जाता है, जो अल्जाइमर की बीमारी का मुख्य कारण बन रहा है. इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर से जुड़ी कई स्टडीज को रिव्यू किया है. उन्होंने पाया कि फोन के इस्तेमाल से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स जनरेट होता है, जिसकी वजह से दिमाग पर बुरा असर पड़ रहा है. रिसर्चर्स का मानना है कि वायरलेस कम्युनिकेशन सिग्नल्स खासतौर पर दिमाग में वोल्टेज गेटेड कैल्शियम चैनल्स को एक्टिवेट करते हैं, जिनसे कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है.

 

पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बिमल राय कहते हैं, मस्तिष्क में कैल्शियम की मात्रा एकदम से बढ़ने पर अल्जाइमर की स्टेज भी जल्दी आती है. जानवरों पर हुए शोधों में ये बात सामने आयी है कि इएमएफ की वजह से सेल्स में कैल्शियम जमने के कारण अल्जाइमर की बीमारी समय से पहले ही हो सकती है. बता दें कि ये डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे सामान्य प्रकार है.

 

वाइफाइ रेडिएशन ‘डिजिटल डिमेंशिया’ का कारण

एक्सपर्ट का कहना है कि ये बीमारी दुनिया भर में वायरलेस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के बढ़ते चलन के साथ बढ़ रहा है. कुछ स्टडीज की मानें तो 30-40 साल के युवा और कम उम्र के बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. यह घंटों मोबाइल और वाइफाइ रेडिएशन से एक्सपोज होने के कारण हो रहा है. इसे ‘डिजिटल डिमेंशिया’ भी कहते हैं.

 

इस वर्ष अल्जाइमर दिवस की थीम है डिमेंशिया

इस साल विश्व अल्जाइमर दिवस का यह दिन डिमेंशिया को समर्पित है. इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही इस समस्या के होने पर सही इलाज व रोकथाम के प्रति लोगों को जानकारी प्रदान भी करना है. साथ ही लोगों को इस बीमारी को लेकर फैले मिथकों को दूर करना भी शामिल है.

 

डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण

नींद में कमी होना

हमेशा चिंता करना

याददाश्त कमजोर होना

एक ही बात को बार-बार दोहराना

रोजाना के कामों को भूल जाना

फोकस करने में समस्या

कपड़े पहनने में परेशानी महसूस करना

थकान

घरेलू उपचार भी होंगे  इलाज में कारगर

एक्सपर्ट का मानना है कि अल्जाइमर के इलाज के लिए घरेलू उपचार भी काफी कारगर हैं. इस दौरान आप डांस कर सकते हैं, किताबें पढ़ सकते हैं. अगर मरीज को पेंटिंग का शौक हैं, तो वो भी कर सकते हैं. इसके साथ ही दोस्तों के साथ समय बिताना भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. बच्चों में भूलने की बीमारी में कई कारण हो सकते हैं. लेकिन, फोन, कंप्यूटर और लैपटॉप का अधिक उपयोग भी एक प्रमुख कारण बन रहा है.

 

 

चिकित्सक बोले :  फोन कम चलाएं,  भरपूर नींद लें

अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है. यह मानसिक स्थिति को नुकसान पहुंचाती है, भ्रम पैदा करती है और याददाश्त को खोने का कारण बनती है. वर्तमान में, यह बीमारी बच्चों में भी बढ़ती हुई देखी जा रही है, जिसका एक बड़ा कारण मोबाइल का अधिक उपयोग है. बच्चों का अत्यधिक मोबाइल का उपयोग उनकी नींद को प्रभावित करता है, जिससे वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इससे उनकी सोचने की शक्ति कमजोर हो जाती है. इससे बचने के लिए मोबाइल चलाने का टाइम सेट करें व भरपूर नींद लें.– डॉ  बिमल राय, वरिष्ठ चिकित्सक

Pragati

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