बख्तियारपुर-ताजपुर 4 लेन पुल का निर्माण साढ़े 3 साल बाद दोबारा शुरू,सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट
पटना.मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र बख्तियारपुर से ताजपुर के बीच गंगा नदी बन रहे 4 लेन पुल का निर्माण दोबारा शुरू होने के बाद भी गति नहीं पकड़ रही। सीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का 12 साल से निर्माण चल रहा है। साढ़े 3 साल बाद सीएम नीतीश कुमार ने फिर से विधिवत पूजन कर दोबारा कार्य आरंभ किया तो अगस्त 2023 में फिर से निर्माण शुरु हुआ।
कैबिनेट से मंजूर कर 935.77 करोड़ अतिरिक्त लोन की व्यवस्था भी सरकार ने कराई पर एक साल में मात्र 11% राशि ही खर्च हो पाई है। पीपीपी मोड वाली राज्य की यह पहली परियोजना है जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार के साथ निर्माण एजेंसी को भी अपनी राशि लगानी है।
धीमे काम के कारण एजेंसी का एकरारनामा रद्द कर दिया गया था
चार बार निर्माण अवधि बढ़ाई जा चुकी है, पहले मई 2016, फिर 2018, मार्च 2020, अब फरवरी 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बख्तियारपुर के करजान से हाजीपुर-समस्तीपुर रोड पर स्थित ताजपुर को जोड़ने वाली 4 लेन ग्रीनफील्ड इस परियोजना की कुल लंबाई 51 किलोमीटर है जिसमें पुल की लंबाई 5.50 किलोमीटर है।
सेतु का निर्माण नवंबर 2011 में शुरू हुआ तब इसको पूरा करने अवधि मई 2016 रखी गई थी। जमीन अधिग्रहण की समस्या व अन्य कारणों से इस्टीमेट 300 करोड़ रुपए बढ़ा कर निर्माण अवधि पहले 2018 की गई। फिर मार्च 2020 तय की गई। पर 52 फीसदी ही काम हो पाया तो धीमे कार्य के कारण निर्माण एजेंसी नवयुगा का एकरारनामा रद्द कर दिया गया।मामला उच्च न्यायालय गया। फिर एजेंसी के अनुरोध एवं उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य सरकार द्वारा एकरारनामा को पुनर्जीवित किया गया। नवंबर 2011में जब निर्माण शुरु हुआ तो इस पुल की लागत 1603 करोड़ थी जो अब बढ़कर 2875 करोड़ हो गई है।
4 बार निर्माण अवधि बढ़ाई जा चुकी, जिस कारण लागत 1272 करोड़ रुपए बढ़ गई
सचिव ने असंतोष जताया
पथ निर्माण विभाग के सचिव संदीप कुमार आर पुडकलकट्टी गुरुवार को परियोजना स्थल पर गए तो उन्होंने गंगा नदी पर पुल का कार्य में सेगमेंट चढ़ाने का काम शुरु नहीं होने पर असंतोष जताया। एजेंसी को तुरंत काम प्रारंभ करने तथा पुल एवं पहुंच पथ के काम में तेजी लाते हुए तय समय सीमा में पुल निर्माण पूरा करने का निर्देश दिया है।बनेगा तो ये फायदा होगा : महात्मा गांधी सेतु तथा मोकामा राजेन्द्र सेतु पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। राजधानी पटना से समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, मधुबनी समेत उत्तर बिहार के कई जिलों की दूरी 30 से लेकर 50 किमी तक कम होगी। समय की बचत होगी।