Sunday, September 22, 2024
Patna

UP में 69 हजार शिक्षक भर्ती में न्याय के लिए 640 दिन चला धरना-प्रदर्शन, जानें कब क्या हुआ

लखनऊ:पटना.यूपी की बहुचर्चित 69 हज़ार शिक्षक भर्ती (69 Thousand Teachers) में चयनित अभ्यर्थियों की नए सिरे से लिस्ट जारी करने के लखनऊ हाई कोर्ट की डबल बेंच ने निर्देश दिए हैं. इस फैसले का इंतजार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लंबे से समय से कर रहे थे. 640 दिनों से इसके लिए धरना-प्रदर्शन किया जा रहा था. कभी मुख्यमंत्री आवास, कभी डिप्टी सीएम तो कभी मंत्रियों के आवास का घेराव किया गया. अखिलेश यादव, चंद्र शेखर आजाद, संजय सिंह सहित बड़े नेताओं ने अभ्यर्थियों का सपोर्ट किया. 640 दिनों से चल रहे इस आंदोलन की सफलता की कहानी कैसे आगे बढ़ी इसे बताया है आंदोलनकारी अभ्यार्थियों का नेतृत्व करने वाले अमरेंद्र सिंह पटेल ने.

 

 

सभी चयन सूची रद्द करने के निर्देश

अमरेंद्र सिंह पटेल ने बताया कि न्यायमूर्ति अत्ताउरहमान मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह ने 13 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंस से यह फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने 69 शिक्षक भर्ती में अब तक बनाई गई सभी चयन सूचियों को रद्द कर नई लिस्ट बनाकर आरक्षण नियमावली 1994 के प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति किए जाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस भर्ती में नौकरी कर रहे अभ्यर्थी यदि प्रभावित होते हैं तो उन्हें बाहर नहीं किया जाएगा.

 

2018 में शुरू हुई भी भर्ती प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने 69 हजार शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था. आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के द्वारा भर्ती नियमावली का पालन सही तरीके नहीं किये जाने का आरोप लगाया था. जिसको लेकर अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसमें मुख्य पक्षकार अरमेंद्र सिंह पटेल थे. उन्होंने कोर्ट का फैसला आने के बाद कहा कि सभी अभ्यर्थी कोर्ट का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं. हमें न्याय मिला है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब इस मामले में सरकार भी बिना किसी देर किए अभ्यर्थियों को न्याय देते हुए नौकरी दे.

 

जानें कब क्या हुआ

बेसिक शिक्षा विभाग ने 69 हजार शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में कराया गया था. इसकी परीक्षा 06 जनवरी 2019 को हुई और परिणाम 21 मई 2020 से जारी हुआ है.

31 मई 2020 को 67867 अभ्यर्थियों की एक चयन सूची बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गयी.

इस सूची में आरक्षित वर्ग (दिव्यांगजन, दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग) के अभ्यर्थियों ने पाया कि उनको मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया है. इसको लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखी. लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला.

आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों ने न्याय पाने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचितजाति आयोग आदि में याचिका दाखिल की. जिसमें एक वर्ष तक सुनवाई के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 29 अप्रैल 2021 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दी. जिसमें यह स्पष्ट किया कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं मिला.

बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आयोग की रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया. तब आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने 22 जून 2021 से आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने के लिए अनवरत धरना-प्रदशन शुरू किया.

06 सितंबर 2021 को हजारों की संख्या में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, अभिभावकों ने ईको गार्डेन लखनऊ में एकत्र होकर धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांग मुख्यमंत्री योगी तक पहुंचायी.

07 सितंबर 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष मुकुल सिंघल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया.

तीन माह तक चली जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी को उपलब्ध कराई। मुख्यमंत्री ने जाँच समिति की रिपोर्ट में पाया कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया।

23 दिसंबर 2021 को मुख्यमंत्री ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया कि शीघ्र ही आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाए.

24 दिसंबर 2021 को तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री का प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आदेश होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आदेश का पालन नहीं किया.

05 जनवरी 2022 को 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की एक सूची बेसिक शिक्षा विभाग ने जारी की. लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाने के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई. इसी बीच कुछ अभ्यर्थियों ने जारी 6800 चयन सूची के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. हाईकोर्ट ने चयन सूची पर रोक लगा दी.

एक वर्ष से अधिक समय तक हाईकोर्ट में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में सुनवाई हुई. सरकारी अधिवक्ता और विभागीय अधिकारियों की कमजोर पैरवी के कारण हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2023 को 6800 चयन सूची को रद्द कर दिया. इस आदेश से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हताश और मानसिक रूप से परेशान थे.

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी कोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच में लेकर गए. इस मामले की सुनावाई पूरी कर डबल बेंच ने 18 मार्च 2024 को फैसला सुरक्षित कर लिया था.

13 अगस्त 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चयन सूची फिर से जारी करने का फैसला सुनाया है.

Pragati

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