Tuesday, November 19, 2024
Patna

मुजफ्फरपुर में करोड़ो का घोटाला,फर्जी हस्ताक्षर वाले नॉन ज्यूडि शियल स्टांप पर हो रही जमीन की खरीद-बिक्री

पटना : मुजफ्फरपुर में नॉन ज्यूडिशियल स्टांप की खरीद-बिक्री में बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है. लाइसेंसी स्टांप वेंडर के नाम ट्रेजरी ऑफिस से नन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर की खरीद कर रजिस्ट्री ऑफिस में फर्जी हस्ताक्षर से मनमाने रेट पर उसकी बिक्री की जा रही है. वर्तमान में 1000 रुपये के स्टांप पेपर की बिक्री 1300-1500 रुपये में हो रही है. सबसे ज्यादा इन दिनों 1000 और 5000 रुपये के नॉन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर की ही बिक्री होती है. कारण कि बिहार में कोई भी एग्रीमेंट के लिए न्यूनतम 1000 रुपये का स्टांप पेपर वैध है. यही नहीं, धड़ल्ले से फर्जी हस्ताक्षर वाले नन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर पर ही जमीन की खरीद-बिक्री सहित अन्य तरह की एग्रीमेंट भी हो जा रहा है. मामले का खुलासा होने के बाद रजिस्ट्री के साथ-साथ ट्रेजरी ऑफिस भी सवालों के घेरे में आ गया है.

 

 

मुजफ्फरपुर में कितने स्टांप विक्रेता रजिस्टर्ड हैं?

अभी पूरे जिले में 66 स्टांप विक्रेता रजिस्ट्री ऑफिस से रजिस्टर्ड है. लेकिन, बिक्री 100 से ज्यादा गुमटियों में हो रही है. दूसरे के नाम पर स्टांप लेकर फर्जी हस्ताक्षर से दूसरा व्यक्ति बेच रहा है. मतलब, स्टांप की खरीद-बिक्री में बिचौलिया गिरी पूरी तरह से हावी है. लेकिन, प्रशासनिक स्तर पर ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. इससे आम पब्लिक का लगातार शोषण हो रहा है.

 

समझे फर्जीवाड़े के फंदे को

ट्रेजरी ऑफिस से रजिस्टर्ड स्टांप विक्रेता के नाम सप्ताह व महीने में स्टांप पेपर का उठाव होता है. उठाव करते वक्त भी अधिकतर सही लाइसेंस धारक व्यक्ति मौजूद नहीं होते हैं, उनकी जगह फर्जी हस्ताक्षर कर रजिस्टर्ड स्टांप विक्रेता के रिश्तेदार या फिर कोई दूसरा व्यक्ति मौजूद रहता है. इसके बाद लाइसेंसी वेंडर के नाम का फर्जी हस्ताक्षर कर मनमाने रेट पर मुजफ्फरपुर जिला निबंधन कार्यालय सहित जिले के चारों मुफस्सिल कार्यालय में बिक्री होती है. यह खेल लंबे समय से चला आ रहा है.

 

11 ऐसे स्टांप विक्रेता जो बीमार या मृत, फिर भी हो रहा उठाव

मुजफ्फरपुर रजिस्ट्री कार्यालय में 11 ऐसे लाइसेंसी स्टांप विक्रेता हैं, जो बीमार है या फिर मृत हो गये हैं. लेकिन, हर दिन उनके नाम व हस्ताक्षर वाला नन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर की बिक्री होती है. डायरेक्ट कोई व्यक्ति स्टांप के लिए पहुंचता है, तब पहले स्टांप विक्रेता उपलब्ध नहीं होने की बात कहते हैं. वहीं, आसपास में खड़े बिचौलिया से संपर्क साधने पर 200-500 रुपये के बीच अधिक देने पर आसानी से उसी गुमटी से स्टांप पेपर कुछ ही पल में उपलब्ध हो जा रहा है.

 

ई-स्टांप काउंटर पर भीड़ के कारण करते हैं कालाबाजारी

रजिस्ट्री ऑफिस में स्टांप वेंडरों की मनमानी को रोकने के लिए ही सरकार ई-स्टांप की बिक्री के लिए काउंटर खोले हुए हैँ. लेकिन, उसी काउंटर पर ई-स्टांप की बिक्री के साथ रजिस्ट्री शुल्क का बैंक चालान भी जमा होता है. इससे काफी भीड़ रहती है. भीड़ से बचने के लिए लोग वेंडर से ही स्टांप पेपर खरीदारी करना चाहते है. रजिस्ट्री के पेपर में ई-स्टांप से ज्यादा आम पब्लिक अभी भी ट्रेजरी से मिलने वाला स्टांप पेपर पर ही भरोसा जताते हैं. इस कारण उपलब्धता होने के बाद भी उसकी जमकर कालाबाजारी हो रही है.

 

लाइसेंस की जांच करा होगी कार्रवाई

यह मामला गंभीर है. इसकी गहराई से जांच करायी जायेगी. जितने स्टांप विक्रेता का रजिस्ट्रेशन है. वह खुद बिक्री कर रहे हैं या किसी दूसरे से बिक्री करा रहे हैं. एक-एक स्टांप वेंडरों की जांच करायी जायेगी. इसमें जो दोषी पाये जायेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.मनीष कुमार, जिला अवर निबंधक, मुजफ्फरपुर

Kunal Gupta
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