“समस्तीपुर जिले में भी बेरोक टोक वाहनों में धड़ल्ले से हो रहे प्रेशर हॉर्न के इस्तेमाल से स्वास्थ्य को खतरा
समस्तीपुर.जिले में भी बेरोक टोक वाहनों में प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि नियमित जांच के दौरान हेल्मेट पहनने वालों की संख्या काफी बढ़ गई थी, लेकिन एक बार फिर ऐसे बाइक चालकों की संख्या में कमी आ रही है। चालक अस्पतालों व विद्यालयों के पास से प्रेशर हॉर्न बजाते हुए वाहन गुजारते हैं। इसके अलावा बस, ट्रक के अलावा ऑटो रिक्शा तक में धड़ल्ले से प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल किया जा रहा। खासकर बाइक के प्रेशर हॉर्न की वजह से अस्पतालों के मरीजों के दिलों की धड़कन बढ़ा देते हैं। वहीं इसके कारण विद्यालय समय के दौरान छात्रों का ध्यान भंग हो जाता है। जिसका असर उनकी पढ़ाई-लिखाई पर पड़ता है। बता दें कि हाई डेसीबल स्तर वाले प्रेशर हॉर्न से अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इलाज में कठिनाई के साथ उन्हें सोने में भी परेशानी होती है।
^वाहनों में प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल ट्रैफिक नियमों के विरुद्ध है। ऐसे वाहन चालकों के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। सुनील कांत, एसएचओ, ट्रैफिक थाना, समस्तीपुर ^हाई डेसीबल स्तर वाले प्रेशर हॉर्न की वजह से कान और दिल पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना बनी रहती है। साथ ही इससे कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है। इससे मानसिक तनाव व नींद नहीं आने जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होने की संभावना रहती है। -डॉ गिरीश कुमार, चिकित्सक, सदर अस्पताल, समस्तीपुर
{ध्वनि प्रदूषण और इसका कानों व दिल पर बुरा प्रभाव पड़ना {स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं उत्पन्न होना {वाहन चलाने के दौरान भ्रम की स्थिति उत्पन्न होना {मनुष्यों के साथ-साथ वन्य जीव व पशु पक्षियों पर बुरा प्रभाव {बच्चों व छात्रों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव.