“राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने पूसा में बोले – कृषि क्रांति का आगाज हो चुका है
समस्तीपुर के डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक के विषय पर मास्टर ट्रेनरों के लिए चल रहे पंद्रह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर गुरुवार को संपन्न हो गया। इस प्रशिक्षण शिविर में गोवा से आए लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। समापन समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि देश में कृषि क्रांति का आगाज हो चुका हैं। कुछ वर्षों से खेती किसानी में परिवर्तन हो रहा है परिवर्तन का मुख्य जड़ किसानो की सोच में हैं। उन्होंने कहा कि देशभर के लोग पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोवा पर्यटन स्थल के रूप में विख्यात हैं तथा विश्व भर से सैलानी गोवा भी आते हैं। हालांकि इसके बावजूद कृषि से लेकर तमाम तरह की विशेषताओं को अब भी गोवा में लाने की जरूरत है। गोवा और इसके आसपास के किसानों को ध्यान में रखकर गोवा में मशरूम बीज निर्माण शुरू करने की आवश्यकता है। गोवा के किसानों से मशरूम उत्पादन कराने के साथ-साथ उन्हें मशरूम के उत्पादों से भी जोड़ने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि गोवा में एक उच्च कोटि का मशरूम केंद्र स्थापित कर संपूर्ण गोवा एवं अन्य जगहों में मशरूम एवं उससे बने उत्पादों को बाजारों में उपलब्ध करवाने की जरूरत हैं।
फसलों का नया प्रभेद भी विकसित किया जा रहा है
उन्होंने कहा कि कृषि विवि पूसा मशरूम के साथ-साथ विभिन्न फसलों के नए नए प्रभेद एवं कृषि तकनीकों को विकसित कर किसानों के लिए एक मार्गदर्शक का काम कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि गोवा में 2 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं परंतु पूरे देश के किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर मोरने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि पीएम के वक्तव्य के अनुसार किसानो की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में किसान क्रियाशील हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से 27 प्रतिशत तक की आमदनी बढ़ती है जबकि इसकी लागत 52 प्रतिशत तक घट जाता हैं। उन्होंने कहा की देसी गायों के पालन से प्राकृतिक खेती की शुरुआत संभव हैं। राज्यपाल आर्लेकर ने कहा कि केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के लिए बिहार का संपूर्ण राजभवन 24 घंटे खुला रहेगा तथा कृषि से जुड़े सभी कार्यों के निष्पादन के लिए हम कृषि विश्वविद्यालय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों का यह प्रशिक्षण केवल गोवा के किसी एक गांव तक सीमित नहीं रहे बल्कि इसे संपूर्ण गोवा में प्रचारित कर व्यवहार में लाने की जरूरत हैं। भारत कृषि प्रधान देश है और इसे आगे भी उत्सुकता के साथ लेकर चलने की जरूरत है। गोवा में भी विश्वविद्यालय के सहयोग से कृषि की अपनी एक अलग पहचान बनेगी।
पूसा कृषि शिक्षा की जननी और उद्गम स्थल
समापन समारोह के दौरान राज्यपाल का स्वागत करते हुए विवि के कुलपति डॉ.पीएस पांडे ने कहा की पुसा कृषि शिक्षा की जननी और उद्गम स्थल हैं। इस विश्वविद्यालय में 27 राज्यों के छात्र-छात्राएं एवं 17 राज्यों के फैकल्टी अध्यनरत हैं। उन्होंने कहा की मशरूम के प्रसंस्करण पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा हैं। मशरूम की खेती के लिए भूमि की जरूरत नहीं होती है। विश्वविद्यालय से मशरूम के कुल 52 उत्पाद बनाकर ब्रांडिंग किया गया हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के बाद अब पोषण सुरक्षा पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक क्रियाशील हो चुके है। उन्होंने कहा कि हाल ही में विश्वविद्यालय ने 12 पेटेंट को प्राप्त करने के साथ-साथ 24 प्रभेदों को रिलीज कर खासकर बिहार के लिए एक कीर्तिमान स्थापित किया हैं। प्राकृतिक खेती और मिलेट्स की खेती की दिशा में विश्वविद्यालय बेहतर कार्य कर रहा है। इस प्रशिक्षण में गोवा से पहुंचे 22 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। मंच संचालन डॉ. कुमारी अंजली ने किया। धन्यवाद ज्ञापन निदेशक अनुसंधान डॉ. अनिल कुमार सिंह ने किया। मौके पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेशक, वैज्ञानिक, कर्मचारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।