Wednesday, September 25, 2024
Samastipur

समस्तीपुर में 60 हजार छात्र ग्रेजुएशन पास, केवल 2 हजार 110 का ही PG में एडमिशन

समस्तीपुर में करीब 60 हजार छात्र सरकारी और एफिलिएटेड कॉलेज से ग्रेजुएशन पास आउट होते हैं। आगे पीजी करने की इच्छा भी होती है। लेकिन, उन्हें कॉलेज में नामांकन नहीं मिल पाता है। जिले में 12 सरकारी और 13 एफिलिएटेड कॉलेज में से पीजी की पढ़ाई सिर्फ तीन कॉलेज में होती है। 50 हजार बच्चों की बीच में पढ़ाई छूट जाती है।

 

 

समस्तीपुर, कॉलेज, बीआरबी कॉलेज मोहनपुर और आरबी कॉलेज दलसिंहसराय में ही पीजी की पढ़ाई होती है। यहां सभी विषयों में पीजी की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है। जहां मात्र 2110 सीट ही उपलब्ध है। इसका नतीजा होता है कि आर्थिक रूप से संपन्न बच्चे बाहर का रास्ता देखते हैं, कुछ बच्चे डिस्टेंस एजुकेशन का सहारा लेते हैं।

 

50000 के करीब बच्चों की छूट जाती है पढ़ाई

 

50000 के करीब बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। जिसमें आधा के करीब छात्राएं होती है। ये आगे पढ़ने की ललक तो रखती हैं, लेकिन व्यवस्था के अभाव में उनकी यह हसरत पूरी नहीं हो पाती।

 

 

छात्र नेता अनुपम कुमार झा, एबीवीपी

जिला मुख्यालय में चार सरकारी कॉलेज के साथ ही जिले भर में 12 सरकारी कॉलेज है। वहीं, इसके साथ ही जिले भर में 13 एफिलिएटिड कॉलेज है। समस्तीपुर कॉलेज में साइंस के साथ ही आर्ट विषय में पीजी की पढ़ाई उपलब्ध है। इस कॉलेज में कुल पीजी के लिए 1080 सीट उपलब्ध है। जबकि, बीआरबी कॉलेज मोहनपुर में मात्र चार विषय में पीजी की व्यवस्था है। यहां मात्र 480 सीट है।

 

मात्र चार विषय में ही पीजी की व्यवस्था

 

आरएनएआर कॉलेज में भी मात्र चार विषय में ही पीजी की व्यवस्था है। यहां 550 सीट उपलब्ध है। कल 2110 सीट सीटों पर नामांकन हो पता है। जिले में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एकमात्र वीमेंस कॉलेज है। लेकिन, इस कॉलेज में स्थापना से आज तक पीजी की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं हो पाई। हालांकि, सभी सरकारी कॉलेज के प्राचार्य कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करने और व्यवस्था उपलब्ध कराने को लेकर कई विश्वविद्यालय से पत्राचार किया गया है। लेकिन, सरकार की मजदूरी नहीं मिलने के कारण इन कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई।

 

कोई भी कॉलेज अपने यहां पीजी की पढ़ाई शुरू करना चाहता है, तो उसे पहले एक प्रस्ताव यूनिवर्सिटी को भेजना होता है। यूनिवर्सिटी की एक कमेटी कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर जांच के लिए पहुंचती है। जांच में सब सही पाए जाने के बाद कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करने को लेकर सीनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित किया जाता है। प्रस्ताव को सरकार के पास भेजना होता है, जहां सरकार की मंजूरी के बाद कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू हो सकती है।

 

कॉलेज में गेस्ट टीचर से चल रहा काम

 

पीजी की पढ़ाई शुरू नहीं होने के पीछे कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर का नहीं होना भी बहुत बड़ा कारण है। कॉलेज में पर्याप्त शिक्षकों का अभाव भी एक कारण है। चुकी समस्तीपुर के 13 सरकारी कॉलेज में पर्याप्त विषयों में शिक्षक नहीं है। गेस्ट टीचर से काम चलाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में पढ़ाई शुरू नहीं होना लाजमी है।

 

छात्र संगठन एबीवीपी के संभाग संयोजक अनुपम कुमार झा का कहना है कि सीट के अभाव में हजारों हजार छात्र प्रत्येक साल पीजी की पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि सभी कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई की व्यवस्था हो। सेट की भी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। जिले का एकमात्र महिला कॉलेज में पढ़ाई होनी ही चाहिए। दिनेश कॉलेज में पीजी की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं रहने के कारण अधिकतर छात्राओं की पढ़ाई बीच में ही छूट रही है।

 

 

छात्र संगठन आईसा के जिला मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि सरकार की इच्छा शक्ति के अभाव में कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है। कॉलेज प्रशासन भी इसके लिए आगे नहीं बढ़ रही है। सुखी शुरुआत कॉलेज को ही करना होगा, उसे यूनिवर्सिटी को प्रस्ताव भेजने होगा। ताकि, इंफ्रास्ट्रक्चर जांच के लिए कमेटी आकर अपनी रिपोर्ट रख सके।

Pragati
error: Content is protected !!