“पटना में मनाया गया वर्ल्ड आईवीएफ डे:जानिए किन परिस्थितियों में महिलाएं ले सकती हैं सेरोगेसी का सहारा
पटना:विश्व आईवीएफ दिवस के अवसर पर हॉस्पिटल में गुरुवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बांझपन के बढ़ते मामलों पर प्रकाश डालना और आईवीएफ तकनीक के माध्यम से नि:संतान दंपतियों को मिल रही राहत पर चर्चा करना था।
कार्यक्रम में आईवीएफ के नवीनतम तकनीकों पर परिचर्चा हुई। वहीं आईवीएफ से जन्में शिशु और उनके मां-पिता को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आईवीएफ की मदद से नि: संतानता को हराने वाली दंपत्तियों ने अपनी- अपनी कहानी भी शेयर की। बच्चों के लिए नि:शुल्क परामर्श और स्वास्थ्य जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी।
इस दौरान एनएमसीएच में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलू प्रसाद ने मीडिया प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अभी भारत में 18.7 प्रतिशत लोग बांझपन से ग्रसित हैं। बांझपन की समस्या पुरूष और महिला दोनो में लगभग बराबर है। पुरूषों में शुक्राण की संख्या का अभी स्टैंडर्ड 15 हजार प्रति मिली ग्राम है। विश्व स्तर पर पुरूषों में शुक्राणु की संख्या घट रही है। यह चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं में बांझपन का सबसे कॉमन कारण फॉलिक सिस्टीक ओवरी है। हर तीसरी महिला में यही समस्या देखने को मिल रही है। इसमें अंडा बनने की प्रक्रिया और गुणवत्ता दोनों बहुत घट जाती है तथा वजन काफी तेजी से बढ़ता है। यही फर्टिलिटी को नष्ट करता है। बिहार में भी बांझपन की शिकायत बहुत बढ़ गई है।
डॉ. नीलू ने महिला और पुरूष में बांझपन की समस्या के कई सामान्य कारण भी बताए। जैसे- तनाव, ज्यादा उम्र में शादी करना, ओवर नाइट या डबल शिफ्ट में काम करना, लैपटॉप या ऑन स्क्रीन देर तक काम करना, बाहरी खानपान या जंकफूड, नशा, कसे हुए कपड़े पहनना, प्राकृतिक वातावरण से दूरी, मोटापा और व्यायाम का अभाव, आदि।
कार्यक्रम को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के स्पाइन सर्जन प्रो. महेश प्रसाद, पीएमसीएच के ही शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. भूपेंद्र नारायण, नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. श्रवण कुमार, पीएमसीएच में सहायक प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार, डॉ. गुलफाम आदि ने संबोधित किया।