“छोटी उम्र,बड़ा काम: 13 वर्ष की अंशिका ने मिथिला पेंटिंग्स से बनाई अलग पहचान
मुजफ्फरपुर.बचपन से ही झेली तकलीफ : महज 3 साल की थी, तब उठ गया पिता का साया; मां ने किसी तरह पालन पोषण कर दिखाई दुनिया.
गांव में एक कहावत सुनी होगी… उम्र छोटे और काम बड़े। इसे साबित किया है बोचहां के सर्फुद्दीनपुर निवासी 13 साल की अंशिका ने। मिथिला पेंटिंग्स, आर्ट गैलरी, क्राफ्ट समेत कई हुनर की धनी अंशिका पूरे राज्य में जिले का नाम रोशन कर रही है। अपनी कलाकारी की बदौलत मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा समेत राज्य के कई जिलों में अमिट छाप छोड़ रखी हैं।
इनकी बनाई चित्रकारियों की मांग अन्य जगहों से भी होने लगी है। लोग मिथिला पेंटिंग्स, फोटो फ्रेम, सुजनी होप की खरीदारी अपने घर को सजाने के लिए करते हैं। अंशिका के बनाए सामान अब बाजारों में भी उपलब्ध होने लगे हैं। वह कहती हैं कि इससे अभी अच्छी-खासी कमाई तो नहीं हो रही, लेकिन पढ़ाई से लेकर परिवार तक का खर्च निकल आता है।
अंशिका 3 साल की ही थी तो पिता की मौत हो गई। मां किसी तरह लालन-पालन कर रही थीं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। अंशिका कहती हैं कि पढ़ाई- लिखाई में भी बाधा आने लगी थी। तब लगा कि आगे की पढ़ाई व परिवार के खर्च के लिए कुछ करना चाहिए। मां को हमेशा खुश चाहती थी। उन्हें परेशान देखकर घर की जिम्मेदारी उठा ली। मधुबनी पेंटिंग्स, सुजनी होप आर्ट, क्राफ्ट आदि सीखकर इसे आय का साधन बनाया।