“शांभवी चौधरी ने संसद में पहली ही स्पीच में ही बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा, बढ़ा दी BJP की टेंशन
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान युवा सांसदों को भी बोलने का मौका मिला। लेकिन समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी ने अपनी पहली ही स्पीच में उन्होंने बिहार के लिए ऐसी चीज मांग ली, जिसे पूरा करना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा। ऐसी डिमांड वर्षों से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) करती रही है।
जेडीयू हो या फिर कोई पार्टी बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करती रही है। भाजपा भी सुर में सुर मिलाती है। लेकिन कुछ ऐसे प्रावधान हैं कि केंद्र सरकार किसी राज्य को यूंं ही विशेष दर्जा नहीं देता। जब केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनी, और जेडीयू किंंगमेकर की भूमिका में आ गई, तो विपक्ष यही चाहता था कि नीतीश तभी समर्थन दें, जब विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया जाए। लेकिन जेडीयू को असलियत पता चल गई। इसलिए उन्होंने विशेष राज्य के दर्जे का राग छोड़कर विशेष पैकेज की मांग पर आ गए। जेडीयू के नेता हर बार इसी के बारे में बात करते हैं।
पहली स्पीच में शांभवी ने क्या कहा…
लेकिन लोकसभा में जब समस्तीपुर से चुनकर आईं लोक जनशक्ति पार्टी (R) की युवा सांसद शांभवी चौधरी को बोलने का मौका मिला, तो उन्होंने एक बार फिर विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग संसद में उठा दी। लोकसभा में अपनी पहली स्पीच में शांभवी ने कहा, हम बिहार से आते हैं और बिहार ने 2005 से लगातार एनडीए को समर्थन दिया है। बिहार के युवाओं की वर्षों से लगातार मांग रही है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। मैं बिहार का प्रतिनिधित्व कर रही हूं, इसलिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करती हूं कि इसके लिए अगर नीति आयोग में कुछ बदलाव की जरूरत हो, तो उस पर उनकी दृष्टि होनी हो।
बिना धर्म-जाति पूछे गरीबों का उद्धार किया :
शांभवी ने कहा, मैं स्कूल-कॉलेज से बापू के विचारों को पढ़ती आई हूं और अब ये कह सकती हूं कि अगर कोई बापू के विचारों को आगे लेकर जा रहा है, तो वह एनडीए की सरकार है। उनका विचार था कि गरीबों को मुख्य धारा से जोड़ा जाए, एनडीए सरकार ये काम बखूबी कर रही है। देश में 4 करोड़ लोगों को घर मिले हैं। 55 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड मिला है। 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए। एनडीए की सरकार ने बिना धर्म-जाति पूछे गरीबों का उद्धार किया है। महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया है। उनकी आवाज बनी है।