“सर्जरी के दौरान मरीज हनुमान चालीसा सुनता रहा,IGIMS में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में अवेक कार्डियक बाइपास सर्जरी की सुविधा बहाल
आईजीआईएमएस के कार्डियोथोरेसिक विभाग ने नई तकनीक अवेक कार्डियक बाइपास सर्जरी की शुरुआत की है। राज्य में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा बहाल की गई है। इस तकनीक से दरभंगा के 80 साल के बुजुर्ग कुशेश्वर यादव की सफल बाइपास सर्जरी की गई। अब वह ठीक हैं।
इस तकनीक से बाइपास सर्जरी करने के लिए बेहोश करने की जरूरत नहीं होती। मरीज सर्जरी के दौरान पसंदीदा गीत, संगीत, भजन आदि सुन सकता है। कुशेश्वर ने सर्जरी के दौरान हनुमान चालीसा सुनाने की फरमाइश की थी। उन्हें हनुमान चालीसा सुनाते हुए सर्जरी की गई। यह जानकारी कार्डियोथोरेसिक विभाग के हेड डॉ. शील अवनीश ने दी। डॉ. अवनीश के नेतृत्व में ही यह सर्जरी की गई। उन्होंने दावा किया कि राज्य ही नहीं, बल्कि पूर्वी भारत के किसी सरकारी संस्थान में पहली बार अवेक कार्डियक बाइपास सर्जरी की शुरुआत की गई है।
मरीज को नहीं करना पड़ता बेहोश
वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत नहीं : इस तकनीक में मरीज को सर्जरी के दौरान वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत नहीं होती। मरीज सर्जरी दौरान और सर्जरी के बाद सब देखता-सुनता रहता है, इसलिए किसी तरह की तकलीफ होने पर बताता है। लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं पड़ती। सर्जरी के तुरंत बाद से भोजन करने लगता है। बाइपास सर्जरी के दूसरे दिन से ही मरीज बिस्तर से उठकर चलने लगता है। सर्जरी करने वाले डॉक्टरों के टीम में डॉ. शील अवनीश के अलावा डाॅ. तुषार कुमार,, डॉ. अभिनव, डॉ. समर, डॉ. पीके दूबे, डॉ. आलोक भारती, डॉ. आलोक कुमार आदि शामिल थे।
सर्जरी में छह घंटे लगे
कुशेश्वर हार्ट अटैक के अलावा मधुमेह, अर्थराइटिस, अस्थमा से पीड़ित हैं। इसके पहले कई जगहों पर सर्जरी कराने गए थे। अधिक उम्र की वजह से कहीं सर्जरी नहीं हुई तो अंत में परिजनाें ने आईजीआईएमएस के कार्डियोथोरेसिक विभाग से संपर्क किया। यहां नई तकनीक से इनकी सर्जरी कर दी गई। सात सदस्यीय डॉक्टरों की टीम को इसमें छह घंटे का समय लगा। इस मरीज की सर्जरी आयुष्मान योजना के तहत की गई। वैसे इस सर्जरी का खर्च दो लाख से ढाई लाख के बीच आता है। प्राइवेट अस्पताल में साढ़े चार लाख से पांच लाख रुपए खर्च हाेते हैं। इस तकनीक से बुजुर्ग मरीज की ही बाइपास सर्जरी संभव है। अधिक उम्र के मरीज काे बेहोश कर ओपन हार्ट सर्जरी करने में रिस्क रहता है। इसलिए अवेक कार्डियक बाइपास सर्जरी कारगर साबित होती है।