“125 साल का हुआ लंगट सिंह महाविद्यालय, सज-धज कर तैयार, होगा भव्य समारोह
उत्तर बिहार के प्रमुख शिक्षण संस्थान लंगट सिंह कॉलेज कल बुधवार को 125 साल का हो जाएगा। 3 जुलाई 1899 को इसकी स्थापना व्यापक सामुदायिक समर्थन से की गई थी। 1900 में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) विश्वविद्यालय से संबद्धता मिली। 1915 में सरकारी कॉलेज घोषित हुआ और 1917 में पटना यूनिवर्सिटी से संबद्ध कर दिया गया। 1952 में जब मुजफ्फरपुर मुख्यालय के साथ बिहार विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तो लंगट सिंह कॉलेज को इससे संबद्ध कर दिया गया।
आज यह उत्तर बिहार का प्रमुख शिक्षण संस्थान होते हुए कई बड़ी-बड़ी उपलब्धियां दर्ज करा चुका है। उस समय विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग इसी कॉलेज से संबद्ध किए गए। 1979 मंे स्नातकोत्तर विभागों को कॉलेज से अलग किया गया। 1916 में यहां वेधशाला की स्थापना हुई। पूर्वी भारत में यह अपने तरह की पहली वेधशाला थी। इसके बाद 1946 में तारामंडल भी बना। हालांकि, 1970 के बाद इनकी दशा खराब होने लगी। उपकरणों के खराब होने और देखरेख के अभाव में ये अब तक बेकार पड़े हैं। हालांकि, दो साल पहले यूनेस्को ने लुप्तप्राय धरोहर की सूची में वेधशाला को शामिल किया, तो इसके फिर से फंक्शनल होने की उम्मीदें जगीं।
125वें स्थापना दिवस की पूर्वसंध्या पर मंगलवार को कॉलेज व कैंपस रंग-बिरंगी रोशनी से नहा उठा। सज-धज कर तैयार कॉलेज भवन लंगट सिंह कॉलेज के जेबी कृपलानी सभागार में सुबह 10 बजे से भव्य समारोह होगा। मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा होंगे। मंगलवार को प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश राय ने तैयारियों की समीक्षा के लिए शिक्षक-कर्मचारियों के साथ बैठक की। इस दौरान साज-सज्जा, कार्यक्रम की रूपरेखा, समन्वय सहित समारोह के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई।
प्राचार्य ने कहा कि कॉलेज का एक समृद्ध इतिहास है और इसने 125 वर्षों से अनगिनत छात्रों के जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शैक्षणिक उत्कृष्टता, सांस्कृतिक उपलब्धियों और कम्युनिटी सर्विस सहित 125 वर्षों में कॉलेज की उपलब्धियों पर कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं जो इस गौरवशाली संस्थान से जुड़े हैं।
भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. गोपालजी, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. एसआर चतुर्वेदी ने भी विचार रखे। बैठक में प्रो. संजीव मिश्रा, प्रो. जयकांत सिंह, प्रो. विजय कुमार, प्रो. पुष्पा कुमारी, प्रो. सुनील मिश्रा, प्रो. शैलेंद्र सिन्हा, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. ऋतुराज कुमार, डॉ. राजेश्वर कुमार, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. मनोज शर्मा आदि थे।