“नेत्रहीन सुषमा के संघर्ष ने दिलाई रेलवे में नौकरी,शिक्षक देशराज ने हाथ थाम उसकी दुनिया बदल दी
पटना.‘तुम कुछ मेरे बदले दुनिया देख लेना, हम कुछ तेरी निगाहों से बातें कर लेंगे।’ इन वादों के साथ नेत्रहीन सुषमा कुमारी और देशराज शादी के बंधन में बंध गए। कुम्हरार स्थित अंतरज्योति विद्यालय में बारात आई और झिलमिल सितारों से जगमग मड़वा में देशराज ने सुषमा की मांग में सिंदूर दान किया तो शिक्षक-शिक्षिकाओं की आंखें डबडबा गईं। हो भी क्यों न हिलसा की रहने वाली सुषमा मात्र सात साल की थी तो इस विद्यालय में आई थी। उस समय से यहीं पली-बढ़ी और पढ़ी भी।
वह बताती है-नेत्रहीनता की वजह से समाज ने ठुकराया था। आज वह अपने पैरों पर खड़ी है और रेलवे के इलेक्ट्रिकल विभाग में कार्यरत है। यही उसकी मेहनत और सब्र का फल है। सुषमा बताती है कि एक दोस्त के जरिए देशराज से मिली थी। देशराज उसकी बातों से प्रभावित हो गए थे। बातों का सिलसिला ऐसा चला कि दोनों ने सात जन्मों तक साथ निभाने का फैसला ले लिया। सुषमा ने बताया कि पहले माता-पिता शादी के लिए राजी नहीं थे। वह चाहते थे कि उनकी बेटी की शादी नेत्रहीन से न हो। फिर उनको समझाया कि देशराज पूरी तरह नेत्रहीन नहीं है, बल्कि आधा दिखता है। मुझे और कुछ नहीं चाहिए। क्योंकि एक बार मेरी शादी टूट गई थी और मैं टूटना नहीं चाहती थी। देशराज भी सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं। हम दोनों कई बार मिले, फिर शादी करने का फैसला लिया।
मेरे लिए अंतरज्योति विद्यालय ही मायका
10वीं की पढ़ाई के बाद इंटर और स्नातक भी किया और नौकरी लगी। जब शादी की बात आई तो सुषमा ने अपने घर को छोड़कर विद्यालय को ही चुनना सही समझा। सुषमा ने बताया कि जब से होश संभाला, खुद को अंतरज्योति विद्यालय में पाया, तो मेरा पहला घर यही है। बेटियां मायके से विदा होती हैं। मैं भी यहीं से विदा होना चाहती थी। वह पिछली जिंदगी को याद नहीं करना चाहती है। समाज का नजरिया लड़कियों के प्रति पहले से खराब है। वह लड़की के साथ नेत्रहीन है। वह बचपन की बातें याद करके डर जाती है।
मैं दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हूं : सुषमा
सुषमा ने कहा कि वह आज दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की है। क्योंकि, उसके लिए उसकी खूबसूरती सब देख रहे हैं। हाथों में मेहंदी, आंखों में काजल, बालों में गजरा, शादी के लाल जोड़े में खूब फब रही है। वह अपनी हाथों के स्पर्श से खुद को निहार रही है। सिंदूर दान होते ही खूबसूरती और चमक उठी।