Friday, November 15, 2024
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“बन रहा दुर्लभ योग,72 वर्षों के बाद श्रावण मास की शुरुआत सोमवार से और समापन भी सोमवार को होगा

समस्तीपुर!श्रावण मास 22 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष श्रावण सोमवार से ही प्रारंभ हो रहा है। विशेष महत्वपूर्ण बात यह है कि श्रावण का अंतिम दिन भी सोमवार ही है। समस्तीपुर के भागवत कथा-वाचक पंडित विजयशंकर झा के अनुसार इस तरह श्रावण महीने का प्रारंभ और अंतिम दिन सोमवार को ही होना विशेष शुभ माना जा रहा है। यह संयोग है कि 72 वर्षों बाद यह अवसर श्रद्धालुओं को मिल रहा है। इस बार पांच सोमवार पड़ना भी शुभ माना जा रहा है। इस महीने की पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र युक्त होता है इसलिये इस महीने का नाम श्रावण है।

श्रावण महीने के कई पौराणिक महत्व हैं। जैसे-आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के एकादशी में भगवान सोने के लिये चले जाते हैं। इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी कहते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष के देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं । इस अवधि के चार महीने सृष्टि का संचालन भगवान शिव ही करते हैं। इस कारण श्रावण जो प्रारंभिक महीने में आता है। इसे महादेव के भक्त बहुत ही भक्तिमय वातावरण में मनाते हैं। देव-दानव के युद्ध के समय समुद्र-मंथन से 14 रत्न निकले थे। इसमें सबसे पहले कालकूट विष निकला। जिसे ग्रहण करने के लिये देवता और दानव में से कोई तैयार नहीं हुये। अंतत: महादेव ही इस कालकूट विष को ग्रहण किया और संसार को जलने से बचाया।

इस विष को महादेव ने अपने कंठ में ही स्थिर रख लिया। इस कारण महादेव नीलकंठ कहलाये। इस कालकूट के कारण महादेव के कंठ में भी जलन होने लगी। इस जलन को शांत करने के लिये इंद्र ने वर्षा की। इससे भगवान शिव को राहत मिली। तभी से जलाभिषेक के द्वारा श्रावण में भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयत्न किया जाता है। श्रावण में जलाभिषेक का विशेष महत्व है। जल के अतिरिक्त मधु अर्थात शहद, दूध, दही, घी, फलों के रस से भी अभिषेक करते हुये भगवान महादेव को शीतलता देकर प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। श्रावण महीने में सोलह सोमवार व्रत के अनुष्ठान की शुरुआत की जाती है। इस व्रत के करने से सुंदर पति या पत्नी की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में ही पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था।

Kunal Gupta
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