Wednesday, December 25, 2024
Patna

“युवा पीढ़ी तंबाकू की लत में पड़ रहा,जो देश की प्रगति में एक बहुत बड़ी बाधा है:खान सर

हाजीपुर के दिग्घी कला स्थित सिम्स कैंसर अस्पताल में शुक्रवार को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। उद्घाटन पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सह सिने स्टार शत्रुधन सिन्हा, मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शिक्षक खान सर ने संयुक्त रुप से किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री, शत्रुघ्न सिन्हा ने कार्यक्रम में पहुंचे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कभी वह भी सिगरेट के लती थें। उन्हें भी लगता था कि इसे छोड़ना मुश्किल है।

लेकिन कई जागरुकता कार्यक्रम में भाग लेने के बाद एवं कई बड़े चिकित्सकों से मिलने के बाद समझ आया कि यह कितना खतरनाक है। ऐसे में, वर्षों पहले इसी 31 मई के दिन ही सिगरेट छोड़ा और उसके बाद से उसे कभी हाथ नहीं लगाया। उन्होंने बताया कि जिंदगी से प्रेम ने उन्हें तंबाकू से दूरी बनवा दी। वहीं प्रसिद्ध शिक्षक खान सर ने कहा कि युवा पीढ़ी तंबाकू की लत में पड़ रहा, जो देश की प्रगति में एक बहुत बड़ी बाधा है। पहले तो लड़के इसमें पड़ते थे, पर अब लड़कियां भी पड़ने लगी है। ऐसा करके युवा खुद को मॉडर्न मानते हैं, जो बिल्कुल गलत है। सिगरेट पीने वाले खुद के लिए खतरा पैदा करते तो हैं, पर फेंके हुए धुएं से दूसरों के लिए और ज्यादा करते है। कई तो नशा के लिए दवाओं का भी इस्तेमाल करते हैं।

वहीं, गुटका की लत की शिकार भी बड़ी संख्या में युवा हो रहे है जो बहुत ही गलत है। गुटका खाने वालों की संख्या का अंदाजा इस चीज से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार के केवल रेलवे मंत्रालय को थूके हुए गटके व पान की सफाई के लिए साल में 1400 करोड़ का खर्च करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि जिसे तंबाकू का लत लग जाता, उसके लिए छोड़ना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में, युवाओं को इस जाल में ही नही फंसना चाहिए।

देश में हर साल 13.5 लाख लोगों की तंबाकू से मौत : डॉ जितेंद्र सभा को संबोधित करते हुए अस्पताल के संस्थापक व प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि तंबाकू भारत में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है। हर साल 13.5 लाख लोगों की इससे मृत्यु हो रही है। बिहार में 43.4% पुरुष और 6.9% महिलाएं इसके लत में पड़ी हैं। इससे कैंसर, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी खतरनाक बीमारियां होती हैं। इस गंदी आदत को अगर लोग छोड़ दे तो हर साल भारत में 12 लाख में 5 लाख मरीज कैंसर के शिकार होगें ही नहीं। उन्होंने तंबाकू छोड़ने के लिए निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी, व्यायाम पर भी लंबी चर्चा की। सरकार को भी तंबाकू पर नियंत्रण लगानी जरूरत है।

Kunal Gupta
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