“11 साल के बच्चे ने बचाई 1300 यात्रियों की जान:पटरी पर क्रेक को देख गमछा हिलाकर रुकवाई ट्रेन,बाघ एक्सप्रेस बची, किया सम्मानित
समस्तीपुर.’मैं रोज की तरह अपने पिता की चिकन शॉप से सुबह 11 बजे के करीब वापस घर आ रहा था। रास्ते में रेलवे ट्रैक है। मैं उसे आराम से क्रॉस कर रहा था , तभी ट्रैक के एक हिस्से पर मेरी नजर पड़ी। रेलवे लाइन में क्रेक था। इसी बीच ट्रेन आने की आवाज सुनाई दी। मेरे साथ कोई था नहीं। मैंने फौरन अपने सिर पर रखे लाल रंग के गमछे को उठाया और ट्रैक पर खड़ा होकर हिलाने लगा। ट्रेन नजदीक आई तो मैं किनारे होकर गमछा हिलाता रहा। इसके बाद लोको पायलट ने ट्रेन रोक दी।’
यह कहना है समस्तीपुर के साहसी मो. शहवाज का, जिसकी सूझबूझ से एक बड़ा रेल हादसा होने से बच गया और ट्रेन में सफर कर रहे करीब 1300 लोगों की जान बच गई। इधर, डीआरएम विनय श्रीवास्तव ने बताया कि लोको पायलट ने ट्रैक के क्रेक होने की सूचना कंट्रोल रूम को दी थी। इसके बाद कर्मियों ने पहुंच कर उसे ठीक किया। इसके बाद ट्रेन आगे रवाना की गई। उन्होंने कहा- बच्चे ने इतना साहस भरा काम किया है तो उसे रेलवे कार्यालय बुलाकर पुरस्कृत किया जाएगा।
दरअसल, समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड के भोला टॉकीज गुमटी के पास शनिवार सुबह अप लाइन पर 13019 हावड़ा-काठगोदाम बाघ एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बच गई। धर्मपुर न्यू कालोनी के वार्ड- 27 निवासी मो. शकील के बेटा मो. शहबाज रेलवे ट्रैक के पास से गुजर रहा था।इसी दौरान उसकी नजर पटरी पर पड़े क्रैक पर गई। उसी वक्त उसने देखा कि सामने से ट्रेन आ रही है। वो आनन-फानन में अपना गमछा उठाकर जोर-जोर से हिलाने लगा और लोको पायलट को ट्रेन रोकने का इशारा करने लगा।
लोको पायलट ने खतरे को भांपते हुए और सूझबूझ का परिचय देते हुए ट्रेन रोक दी। हालांकि, रुकने के दौरान ट्रेन का इंजन और दो बोगी टूटी पटरी को पार कर चुकी थी, लेकिन एक बड़ी दुर्घटना होने से मो. शहवाज ने बचा लिया।पायलट ने ट्रेन से उतरकर लाल कपड़ा दिखाने का कारण पूछा, तब शहवाज ने लोको पायलट को टूटी हुई पटरी दिखाई। इसकी सूचना लोको पायलट ने कंट्रोल रूम को दी। इसके बाद ट्रैक को ठीक कर ट्रेन रवाना की गई।
लोको पायलट ने शहवाज को 100 रुपए दिए, लेकिन उसने नहीं लिया
वहीं, लोको पायलट ने बच्चे के साहसी कदम को देख जेब से 100 रुपए निकाल कर मो. शहवाज देना चाहा, लेकिन शहवाज ने पैसा नहीं लिया और कहा- लोगों की जान बच गई। इससे ज्यादा और क्या चाहिए। शहवाज के इस साहसिक कार्य की चर्चा धर्मपुर न्यू कॉलोनी में चारो ओर हो रही है। मो. शहबाज के पिता ताजपुर रोड, ताज मस्जिद के बगल में चिकन की दुकान चलाते हैं।
पिता ने कहा- बेटे ने लोगों की जान बचाई, यह बड़ी खुशी है
मो. शहवाज का घर रेलवे लाइन से सटा हुआ है। रोज वह रेलवे ट्रैक पार कर अपने पिता के चिकन दुकान पर जाता-आता है। शहवाज के पिता मो. शकील ने कहा कि अब तक किसी रेलवे अधिकारी का फोन नहीं आया, लेकिन इस बात की खुशी है कि उनके बेटे ने अपनी जान पर खेल कर बड़ा रेल हादसा होने से बचाया है। इससे बड़ी बात और क्या होगी।
कई ट्रेनें पहले ही गुजर चुकी थी
इस ट्रैक से शनिवार को कई ट्रेनें पहले ही गुजर चुकी थी, लेकिन पटरी कब क्रैक हुई इसकी स्पष्ट जानकारी किसी को नहीं थी। इससे पहले सुबह 3.59 बजे सुबह 15707 आम्रपाली एक्सप्रेस इसी ट्रैक से गुजरी थी। फिर 13021 मिथिला एक्सप्रेस 4:31 बजे सुबह, 19166 अहमदाबाद-साबरमती एक्सप्रेस सुबह 6:12 बजे, 05255 समस्तीपुर -मुजफ्फरपुर मेमू स्पेशल सुबह 6:36 बजे, 15027 मौर्य एक्सप्रेस सुबह 6:54 बजे, 02569 नई दिल्ली क्लोन स्पेशल 8:20 बजे सुबह, 12565 बिहार संपर्क क्रांति सुपर फास्ट एक्सप्रेस सुबह 9:41 बजे इसी पटरी से होकर गुजर चुकी थी।
भाजपा नेता ने किया प्रोत्साहित
भास्कर में खबर चलने के बाद शहवाज को शाबाशी देने के लिए लोग पहुंचने लगे हैं। भाजपा नेता और सरायरंजन के पूर्व विधायक प्रत्याशी रंजीत निर्गुणी ने शहवाज के घर पहुंचकर मिथिला की संस्कृति के अनुसार चादर और पाठ सामग्री देकर उसका हौसला बढ़ाया।