‘जवन काम बचल बा, ऊ सब हम करम…’,एकदम लालू के नक्शेकदम पर रोहिणी; अंदाज भी बिल्कुल ठेठ
रंगीन सलवार कमीज व सिर पर दुपट्टा लिए रोहिणी आचार्य सिंगापुर की 10 वर्षों की जीवनशैली पीछे छोड़ चुकी हैं। सारण लोकसभा क्षेत्र से राजद के टिकट पर मैदान में उतरीं लालू यादव की बेटी जनसंपर्क अभियान में लोगों से ऐसे जुड़ रहीं मानो मायके आई हैं।
बोलचाल में स्थानीयता का पुट लाकर लोगों से जुड़ने का प्रयास करती हैं। विपक्ष के बाहरी होने की काट में लोगों से कहती हैं, जितला के बाद हम रउए लोग के बीच रहेम। हम बाहरी नहीं हैं… मेरे पिताजी की यह कर्मभूमि है। उन्होंने सारण के लिए बहुत काम किया है। जवन काम बचल बा, ऊ सब हम करम…. (जो काम बच गया है, वह सब हम करेंगे)।
कभी हिंदी तो कभी भोजपुरी में बात कर लोगों को दे रहीं भरोसा
कभी हिंदी तो कभी भोजपुरी में महिलाओं एवं युवाओं से बात कर रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) उन्हें आश्वस्त कर रही हैं। इस दौरान लोगों को पिता व मां के साथ रिश्तों की दुहाई भी देती हैं। रोहिणी में पिता के बोलने की शैली और मां सरीखा भोलापन दोनों है । बेझिझक बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद ले रही हैं तो धूल में सने छोटे बच्चों को गोद में उठाकर भरपूर स्नेह दे रही हैं।
रोहिणी आचार्य छपरा के रौजा मोहल्ला में रह रहीं
वह अपने पिता के साथ छपरा के रौजा मोहल्ला स्थित पार्टी कार्यालय में ही रह रही हैं। इनकी सुबह चाय के साथ सभी अखबारों पर सरसरी निगाह डालने से होती है। इंटरनेट मीडिया पर खूब सक्रिय रहती हैं। रोजाना कार्यकर्ताओं से सलाह कर जनसंपर्क का क्षेत्र चयन कर निकल पड़ती हैं।
चिकित्सीय परामर्श के अनुसार भोजन करतीं हैं। चावल, दाल, रोटी, सब्जी व सलाद खाना पसंद है। चुनावी भागदौड़ में दिन में दो-तीन बार चाय भी हो जाती है। परिवार से इतर आचार्य टाइटल की भी रोचक कहानी है। इनका जन्म पटना मेडिकल कालेज की तत्कालीन डाक्टर कमला आचार्य की देखरेख में हुआ था, इस कारण पिता ने रोहिणी का टाइटल आचार्य रख दिया।सारण में पांचवें चरण में 20 मई को होने वाले मतदान की तिथि निकट है। इन दिनों वह शहर से सटे साढ़ा व अन्य क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। इससे पहले रोहिणी ने गत एक अप्रैल को मां राबड़ी देवी एवं पिता लालू यादव के साथ सारण क्षेत्र के सोनपुर में बाबा हरिहरनाथ की पूजा की थी। उसी दिन से रोड शो शुरू कर दिया था।
नामांकन के पहले तक लगभग पूरे क्षेत्र को नाप चुकी थीं रोहिणी
29 अप्रैल को नामांकन के पहले तक लगभग पूरे क्षेत्र को नाप चुकी थीं। रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) के पहले ही दिन के रोड शो में उमड़ी भीड़ के उत्साह ने बता दिया था कि वर्तमान सांसद व भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी के लिए लड़ाई कठिन होने वाली है।आत्मविश्वास से भरी रोहिणी रूडी पर हमलावर रही हैं। लोगों से पूछ रही हैं कि बताएं उन्होंने सारण के लिए क्या किया। इधर, रूडी सीधे रोहिणी से जुबानी जंग से परहेज कर रहे हैं। वह सीधे लालू से लड़ाई बता रहे हैं। लालू भी लगातार छपरा में प्रवास कर बिटिया का चुनावी गणित ठीक कर रहे हैं । समीकरण के ढीले पेंच कसने की कोशिश की है।
भाई की उपलब्धियां गिना रहीं
भाई व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के कार्यकाल की रोहिणी उपलब्धियां गिनाती हैं। कहती हैं, इतने कम समय में पांच लाख लोगों को नौकरी दी गई है। राजद के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ गई है। देखना है कि पिता को किडनी दान देकर जीवन रक्षा करने वाली रोहिणी को मतदाता उनकी विरासत सौंपते हैं या नहीं।
इस सीट से चार-चार बार सांसद रहे लालू-रूडी
2009 में छपरा का नाम बदलकर सारण हो गया। यहां से चार- चार बार लालू व रूडी जीते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसके सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को बढ़त मिली थी, लेकिन अगले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में मात्र दो (अमनौर और छपरा) में ही जीत मिली। सोनपुर, परसा, मढ़ौरा और गड़खा (सुरक्षित) राजद के खाते में चले गए। जातियां जीत तय करती हैं।
क्या है सारण का समीकरण
सारण में 17,95,010 मतदाताओं में 4.50 लाख मतदाता यादव और ढाई लाख मुसलमान हैं। रोहिणी को इन्हीं का सहारा है। पांच लाख जनसंख्या वाले पिछड़ा – अति पिछड़ा वर्ग में तीन लाख वैश्य हैं। अजा के दो लाख और ढाई लाख सवर्ण मतदाता हैं। रूडी इन्हें मना रहे।क्षेत्र में रोहिणी को महिलाओं का स्नेह मिल रहा है। कार्यालय के अगल-बगल के इलाकों की ग्रामीण महिलाएं सुबह में ही उनसे मिलने के लिए पहुंच जाती हैं। जनसंपर्क के दौरान रास्ते में युवा पूरे जोश से स्वागत कर रहे हैं। क्षेत्र की जनता इन्हें अपार स्नेह दे रही है। – अभिषेक यादव, जिला महासचिव, राजद