“पिता की प्रेरणा से शालिनी आइसक्रीम फैक्ट्री मालिक बन दे रही है 75 से अधिक बेरोजगारों को रोजगार
हाजीपुर.नौकरी करना बड़ी बात नहीं नौकरी देना बड़ी बात है। पिता से बच्चपन में मिली इस मंत्र ने पोस्ट ग्रेजुएट युवती ने अपने मेहनत और पिता से बताए मार्ग पर चलते हुए महज 28 वर्ष की उम्र में शालनी आइसक्रीम फैक्ट्री का मालिक बन गई। वैशाली जिला के घटरो गांव निवासी अश्वनी कुमार सिंह व माता सुजाता सिंह की बड़ी पुत्री शालनी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। अपने लिए जिये तो क्या जिये औरों के लिए जीना ही असल जिंदगी मुल मंत्र पर चलते हुए शालनी आइसक्रीम उधोग जगत में अपना एक अलग पहचान बन चुकी है।
प्रारंभिक पढ़ाई हाजीपुर से करने के बाद मुजफ्फरपुर में अपने नाना के यहाँ रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली शालिनी सिंह आइसक्रीम फैक्ट्री की मालकिन बन गई है।
– जिला ही नहीं बिहार के सभी जिले में फैला है कारोबार शालनी ने बताया कि फैक्ट्री की कमियों को दूर कर जैसे-जैसे आगे बढ़ी समय और कामगारों के सहयोग से कारोबार से अच्छी कमाई होने लगी। वैशाली जिला तक फैले इस फैक्ट्री से बने 35 से अधिक तरह के आइसक्रीम का मांग राज्य के अन्य जिलों में किया जा रहा। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री में वर्तमान समय में 75 से अधिक लोग काम करते है। इतना ही नही एक सीजन में लगभग 4 हजार लीटर आइसक्रीम बनाकर बिहार के सभी जिलों में सप्लाई की जा रही है। जिससे बहुत सुकून मिलता है।
घटारों गांव निवासी 28 वर्षिया शालनी कुमारी ने बताया कि उनके पिता अश्विनी कुमार एक स्पेयर्स पार्ट की एक छोटी सी दुकान से परिवार को भरनण पोषण करते थे। तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी होने की वजह से पिता के संघर्षो को उसने बहुत निकट से देखा था। इसके बावजद भी अपनी प्रारंभिक शिक्षा हाजीपुर से शुरु कर 2019 में एम कॉम करने के बाद पिता के काम को आगे बढ़ाने में लग गई।
शालनी ने बताया कि वर्क शॉप में प्रतिदिन काम के छात्रों को टयूशन देना शुरु किया। लेकिन मन एक सपना था कि स्वयं का ऐसा बिजनेस हो जहां पर मान-सम्मान के साथ युवा बेरोजगारों के लिए कुछ किया जाए। इसी बीच 2019 में कोरना समय में पढ़ाई के साथ बचे हुए समय में सोशल मीडिया पर बिजनेश आइडिया के विषय में सर्च किया करती थी। शालनी ने बताया कि लड़की होने की वजह से फूड प्रोसेसिंग जैसे बिजने के विषय में सोचा करती थी, इसी दौरान आइसक्रीम फैक्ट्री लगाने के विषय में मन ही मन निश्चिय कर लिया। इसी बीच पापा के दोस्त का आइसक्रीम फैक्ट्री हाजीपुर में था, जहां कई बार जाकर विजिट किया। यह काम अन्य कामो से बेहतर लगा, जिसकी चर्चा पापा से कि इसी बीच पापा के दोस्त अपनी फैक्ट्री को लीज देना चाह रहे थे। जिसकी जानकारी होने पर उनकी फैक्ट्री को स्वयं चलाने के लिए प्रेरित हो गई।
लोगांे का सुन्ना पड़ता है आज भी ताना वुमेन फैक्ट्री संचालिका शालनी ने बताया कि सही मायने में आधी अबादी को हक उस वक्त मिलेगा जब महिलाएं को भी समाज से उत्ना ही स्पोट मिले जितना पुरुष को स्वयं का कार्य करने पर मिलता है। मायूश होकर शालनी ने बताया कि आज भी गांव के लोग बेटी को छूट देने और अभी तक शादी नहीं करने पर पापा को ताना देते है। लेकिन पापा का भरपुर सहयोग की वजह से आज इस मुकाम पर पहुंची हूं। सभी माता-पिता और समाज को लड़का हो या लड़की वह जिस क्षेत्र में जाना चाहे उसे सहयोग और उत्साह बढ़ाना चाहिए।