लम्बी अवकाश पर गये सचिव के.के पाठक,शिक्षकों की छुट्टी को लेकर हंगामा
बिहार में एक बार फिर शिक्षा विभाग चर्चा में है. बिहार में स्कूल शिक्षकों की ओर से की जा रही छुट्टी की मांग के बीच शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक छुट्टी पर चले गये हैं. विभागीय सूत्रों के अनुसार केके पाठक एक जून से 30 जून तक अवकाश पर रहेंगे. वो आज शाम ही दिल्ली के लिए रवाना हो जायेंगे. पिछली बार उनके अवकाश पर रहने के दौरान विभाग के वरीय अधिकारी कन्हैया प्रसाद को उनका प्रभार सौंपा गया था, लेकिन 31 मई को कन्हैया प्रसाद सेवानिवृत हो रहे हैं. ऐसे में केके पाठक के अवकाश पर रहने के दौरान उनका काम काज कौन देखेगा इस पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. मालूम हो कि गर्मी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूली बच्चों के लिए छुट्टी का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन शिक्षकों को स्कूल आने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद शिक्षक भी छुट्टी की मांग कर रहे हैं.
शिक्षकों को नहीं मिली है छुट्टी
बिहार के कई जिलों में बुधवार को भीषण गर्मी से सरकारी स्कूलों में बच्चों के बेहोश होने की खबरें सामने आईं थीं. मुंगेर, शेखपुरा समेत कई जिलों के सरकारी स्कूलों में 50 से ज्यादा छात्र-छात्राओं के बेहोश होकर गिरने की खबर सामने आई थी. कई जगह शिक्षक और स्कूल के अन्य कर्मचारी भी बेहोश होकर गिर गए थे. इस सूचना के बाद शिक्षा विभाग ने पहले आनन-फानन में स्कूल की टाइमिंग में बदलाव का आदेश दिया. इसके बाद दूसरा नोटिफिकेशन जारी कर स्कूल को 30 मई से 8 जून कर बंद करने का आदेश दे दिया, लेकिन इस दौरान शिक्षक के स्कूल आने का भी फरमान दिया है.
छुट्टी के मुद्दे पर जारी है सियासत
इस मुद्दे पर अब सियासत शुरू हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक्स पर पोस्ट कर नीतीश सरकार पर हमला बोला. उन्होंने शिक्षकों की मांग को समर्थन करते हुए स्पष्ट कहा कि इस भीषण गर्मी में शिक्षकों को अवश्य ही छुट्टी देनी चाहिए. बिहार में एनडीए सरकार की हठधर्मिता के कारण भीषण गर्मी में विद्यालय खोलने से छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की मौत की खबर है. विपक्ष के दबाव में एक दिन पहले स्कूल बंद किए लेकिन फिर भी इस जानलेवा गर्मी में शिक्षकों को स्कूल आने के कड़े निर्देश दिए गए हैं. जब छात्र ही स्कूल में नहीं रहेंगे तो शिक्षक क्या करेंगे? इस भीषण गर्मी में शिक्षकों को अवश्य ही छुट्टी देनी चाहिए. बिहार की एनडीए सरकार शिक्षकों के प्रति ऐसे अमानवीय निर्णय क्यों ले रही है? मुख्यमंत्री सहित पूरा मंत्रिमंडल वातानुकूलित कमरों में आराम फ़रमा शिक्षकों की जान लेने पर आमादा क्यों है?’