“समस्तीपुर में गिरता जा रहा है भूगर्भीय जलस्तर:नाले के समान हो गई बूढी गंडक नदी,सुखने लगे चापाकल
समस्तीपुर में जनवरी से अबतक मात्र 68.2 एमएम बारिश हुई है। मई महीना आधा से ज्यादा गुजर चुका है। कम बारिश का नतीजा है ग्रामीण इलाके में हैंडपंप जबाब दे गया है। यहां तक की शहर के बीचों बीच से गुजरने वाली बूढी गंडक नदी भी नाले के समान हो गई है। नदी बांध से करीब 300 मीटर अंदर बह रहा है। वहीं नदी में बीच-बीच टीला भी बन गया है। जिससे नदी के आसपास के इलाके में भी चापाकलों की स्थिति अच्छी नहीं है। पारा भी 40 के पार जा रहा है। इन वजहों से शहर समेत ग्रामीण इलाकों में भूगर्भीय जलस्तर औसतन 20-25 फीट नीचे चला गया है। सबसे गंभीर स्थिति सरायरंजन और पूसा प्रखंड की है। सरायरंजन का भूगर्भीय जलस्तर 26.06 चलाया गया है जबकि पूसा का 26.04 हो गया है। मुख्यालय में भी जलस्तर 25.11 फीट नीचे चला गया है। इससे ऐसे लोगों को ज्सादा परेशानी हो रही है जिनके घरों के आसपास समर सेबल लगा है। यहां बतादें कि गत वर्ष इसी महीने भूगर्भीय जलस्तर औसतन 15 फीट के करीब था।
3-4 हजार फीट पर भी पानी नहीं
ऐसे लोगों को पानी के लिए समर सेबल वाले घरों की ओर जाना होता है। पीएचईडी विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 38 हजार सरकारी हैंडपंप है। इसमें से अधिकतर ठीक स्थिति में है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि 3-4 हजार फीट पर हैंडपंप पानी नहीं दे रहा है। साथ कई हैंडपंप अलग-अलग कारणों से बंद है। जिले के 1561 वार्ड में नल-जल से पानी दिया जा रहा है। जिससे पानी के लिए हहाकार जैसी स्थिति नहीं बनी है।
क्या बोले कार्यपालक अभियंता
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता चंद्रभूषण प्रसाद बताते हैं कि पिछले दो सालों से अच्छी बारिश हुई थी। इसके कारण पिछले दो सालों से भूगर्भीय जलस्तर में गिरावट नहीं हुई थी। इस साल अब तक बारिश काफी कम हुई है। इससे जिले का औसतन जलस्तर 21-25 फीट तक नीचे चला गया है। जिससे हैंडपंप के पानी नहीं देने की समस्या आ रही है। सबसे गंभीर स्थिति सरायरंजन व पूसा इलाके की है। यहां पानी का जलस्तर 26 फीट नीचे चला गया है। उन्होंने कहा कि जितना जल्द मानसून आएगी स्थिति में उतना ही जल्द होगा। पिछले वर्ष मई महीने में औसतन 15 फीट भूगर्भीय जलस्तर था7
समस्तीपुर जिले में वर्षा की स्थिति
जनवरी : 00 फरवरी : 06.2 मार्च : 43.8 अप्रैल : 00 मई अबतक ::18.2
होनी चाहिए थी बारिस
जनवरी :: 8 एमएम
फरवरी : 13.7
मार्च : 06.2 अप्रैल: 25 एमएम
मई : 90 एमएम
बारिश नहीं होने पर और क्या-क्या होगा
कृषि वैज्ञानिक अब्दुल सत्तार ने बताया कि नदी-नालों में पानी नहीं रहने के कारण मेढ़क, केकड़ा, केंचुआ, सिनिपोयड आदि नमी में पनपने वाले कीट और जीवों के नष्ट हो जाने का खतरा है। इन जीवों के नष्ट होने से फसल पर शत्रु कीटों का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि जलस्तर में गिरावट से हैंडपंप सूख जाएंगे। जलस्तर में कमी और बारिश के नहीं होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होगी। इससे इसका असर खेती के पैदावार पर पड़ेगा।
प्रखंडों में जलस्तर की स्थिति
विभूतिपुर: 24.10, बिथान: 20.07, दलसिंहसराय : 21.09, हसनपुर: 18.04, कल्याणपुर: 23.06, खानपुर: 23.02, मोहनपुर 23.10, मोहिउद्ददीननगर: 20.08, मोरवा: 19.03, पटोरी: 23.04, पूसा: 26.04, रोसड़ा: 19.06, समस्तीपुर मुख्यालय: 25.11, सरायरंजन:26.06 , शिवाजीनगर: 18.00, सिंघिया: 13.03, ताजपुर: 23.01, उजियारपुर: 25.04,विद्यापतिनगर: 21.04, वारिसनगर: 21.08 फीट तक नीचे चला गया है।
इसी महीने पिछले वर्ष प्रखंडों में जलस्तर की स्थिति
विभूतिपुर: 15.1, बिथान: 18.1, दलसिंहसराय : 18.6, हसनपुर: 17.2, कल्याणपुर: 16.8, खानपुर: 16.2, मोहनपुर: 12.2, मोहिउद्ददीननगर: 18, मोरवा: 17.6, पटोरी: 16.4, पूसा: 14.6, रोसड़ा: 15, समस्तीपुर मुख्यालय: 18.3, सरायरंजन: 18, शिवाजीनगर: 12.3, सिंघिया: 13.1, ताजपुर: 16.3, उजियारपुर: 20.10, विद्यापतिनगर: 19.8, वारिसनगर: 19.4 फीट तक नीचे चला गया है।