“चौसा थर्मल पावर प्लांट का ट्रायल 15 अगस्त को,सितंबर से बिहार को मिलने लगेगी 660 मेगावाट बिजली
पटना.बक्सर के चौसा थर्मल पावर प्लांट का ट्रायल 15 अगस्त को है। इसके बाद 30 सितंबर से यहां 660 मेगावाट बिजली उत्पादन होने लगेगा। 1320 मेगावाट के इस संयंत्र पर 12 हजार करोड़ खर्च हो रहे हैं। 2013 की परियोजना का शिलान्यास 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था।
तब से गलत भूमि अधिग्रहण, मुआवजे में कमी, गलत एमवीआर, अफसरशाही, कोरोना काल और अक्टूबर 2022 से किसान आंदोलन आदि से जूझते हुए निर्माण कंपनी एसटीपीएल ने 85% काम पूरा कर नई मियाद तय की है।
सीईओ ने कहा कि शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधि और प्रभावित लोगों के सहयोग से प्लांट निर्माण पूरा होगा। तीन साल में यह पांचवीं डेडलाइन है। चौसा रेलवे स्टेशन से प्लांट तक कोयला और गंगा नदी से पानी पहुंचाने की योजना प्रक्रियाधीन है।
85% बिजली बिहार को मिलेगी, बढ़ रहा टैरिफ रेट
सीईओ संजय कुमार सिंह ने कहा- प्लांट से उत्पादित 85% बिजली बिहार सरकार को दिया जाना है। एमओयू के अनुसार वर्ष 2019 में सीआरईसी (सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलरिटी कमीशन) ने प्रति यूनिट 4 रुपये 19 पैसे का दर तय किया था। पुनः परियोजना लागत, नुकसान व महंगाई दर आदि के आधार टैरिफ का निर्धारण होगा। अमूमन 6 रुपये प्रति यूनिट तक भुगतान करने होंगे।
देरी क्यों..?
केंद्र व राज्य में तालमेल का अभाव।
गैरकानूनी तरीके से भूमि अधिग्रहण का विरोध।
कोरोना काल में काम ठप रहना।
किसान आंदोलन और मजदूरों का बार-बार पलायन।
लाभ क्या..?
सस्ती बिजली की उपलब्धता से बिहार में विकास को नई गति मिलेगी।
बाजार से महंगी बिजली खरीदने से छुटकारा मिलेगा।
आसपास में स्थित क्षेत्र का हो सकेगा टाउनशिप के तर्ज पर विकास।
सूबे की बिजली खपत 7500 मेगावाट को पूरा करने में आएगी आत्मनिर्भरता।