एनडीए पप्पू का अतीत खंगाल रहा तो पप्पू मांग रहे 10 वर्ष का हिसाब, बीमा के लिए चुनौती बढ़ी
पटना।पूर्णिया मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर रूपौली के सुदूर दियारा इलाके के कांप पंचायत के बलिया ऐतबारी चौक पर लोग ताश खेल रहे हैं। हम चुनाव के माहौल पर बात करना चाहते हैं लेकिन वे ताश के पत्तों में उलझे हुए हैं। सत्ता, इक्का, गुलाम, बादशाह सब इधर से उधर हो रहे हैं। बिल्कुल चुनाव की तरह।
पत्ता फेंकते हुए चुन्नी लाल शर्मा कहते हैं, ‘इलेक्शन आता है तो विकास आता है।’ इस इलाके के लिए सच भी यही है। बीस सालों से कांप में पुल चुनाव की घोषणाओं में हर बार बन रहा है। पुल बन जाए तो पूर्णिया समेत मधेपुरा व भागलपुर के लोगों को भी फायदा होगा। अभी बलिया से कुरसेला जाने में 50 किमी दूरी तय करनी पड़ती है। पुल बन जाए तो यह दूरी मात्र 12 किलोमीटर हो जाएगी।बहरहाल, जमीनी मुद्दों से इतर चुनावी जंग जारी है। पूर्णिया कोसी-सीमांचल ही नहीं बल्कि बिहार की सबसे हॉट सीट बनी हुई है। वजह कांग्रेस के साथ का दावा करने वाले पप्पू यादव हैं। इंडी अलायंस से यहां जदयू छोड़ राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं बीमा भारती मैदान में हैं। एनडीए ने दो टर्म से एमपी रहे संतोष कुशवाहा पर ही दांव लगाया है।
इस सीट पर दूसरे फेज में 26 अप्रैल को चुनाव है। एनडीए पप्पू यादव के अतीत का भय दिखाकर वोटरों को अपने पक्ष में गोलबंद करने का प्रयास कर रहा है। वहीं पप्पू यादव एनडीए से 10 सालों के विकास का हिसाब मांग रहे हैं। बीमा भारती के लिए अलग तरह की चुनौती है।अब तक वे राजद के पारंपरिक वोटर यानी मुस्लिम-यादव से भी कनेक्ट नहीं कर सकी हैं। ऐसा पहली बार दिख रहा है कि मुस्लिम-यादव भी लालू-तेजस्वी के खिलाफ खुलकर बात कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि पप्पू के साथ ठीक नहीं हुआ।
कार्यकर्ता सबकी चुनौती
गठबंधन के बाद भी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को मुहिम में लगाना तमाम पार्टियों के लिए एक चुनौती है। जदयू के अंदर की जमीनी दरार भी एक मुद्दा है। आशीर्वाद से लेकर मंचों में सामूहिक उपस्थिति से जदयू ने यह दिखाने की कोशिश की है कि सब ठीक है। हालांकि सार्वजनिक मंचों पर एका दिख रही है, लेकिन तमाम तस्वीरों के बाद भी जमीनी हकीकत क्या है यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे। ऐसा ही संकट राजद व कांग्रेस में भी है। जमीनी स्तर पर तमाम लोग गठबंधन के दावे-वादे से अलग चल रहे हैं।
पप्पू का साइड इफेक्ट
बात महागठबंधन की करते हैं। इस सीट पर कांग्रेस सिंबल के प्रबल दावेदार पप्पू यादव को टिकट नहीं मिलने का साइड इफैक्ट भी स्पष्ट तौर पर दिख रहा है। इससे पप्पू यादव के समर्थकों में नाराजगी व आक्रोश के साथ पप्पू के प्रति सहानुभूति भी दिख रही है। राजद के माय समीकरण की प्रयोगशाला कही जाने वाले पूर्णिया से बीमा भारती को फील्ड में उतारने का असर आगामी विधानसभा में भी स्पष्ट दिखेगा, ऐसा राजनीतिक जानकारों का मानना है। हां, ये सच है कि बीमा चुनावी लड़ाई को तिकोना जरूर बना रही हैं।
मोदी की गारंटी और सीएम के विकास का सहारा
सीटिंग एमपी संतोष कुशवाहा नीतीश के विकास और मोदी के नाम पर गारंटी दे रहे हैं। विकास को लेकर सवाल के जवाब में संतोष इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी से लेकर एनएच-सिक्सलेन की भी बात करते हैं। लेकिन एंटी इन्कमबैंसी की चुनौती तो इनके समक्ष है ही। 16 अप्रैल को मोदी पूर्णिया आने वाले हैं।निश्चित रूप से मोदी के मंत्र का असर यहां की जनता में भी दिखेगा, ऐसा एनडीए समर्थकों का मानना है। संतोष कहते हैं कि पूर्णिया ने विकास देखा है और लोग पुराने दौर में वापस जाना नहीं चाहते, इसीलिए जीत पर तो कोई सवाल ही नहीं है। लेकिन ग्राउंड पर आम लोगों से उनकी दूरी एक मुद्दा जरूर है।
लेकिन एनडीए से हैट्रिक बनाने के लिए ताल ठोंक रहे संतोष कुशवाहा को नरेन्द्र मोदी के नाम की गारंटी का सहारा अधिक दिख रहा है। समर्थकों को भी यकीन है कि मोदी मंत्र से उनकी चुनावी नैया पार लग जाएगी। बातें जमीन पर दिखती भी है… रूपौली के भौवा परवल इलाके के बुद्धदेव कहते हैं, जे चौर-गहूम दय छै उकरे नै हवा छै।पूर्णिया… नतीजे चौंकाने वाले हों तो आश्चर्य नहीं, यहां की सियासी जंग में तेवर और इमोशन का कॉकटेल साफ नजर आ रहा, चुनावी इतिहास में पहली बार यादव-मुस्लिम खुलकर लालू के खिलाफ बोल रहे, एनडीए को मोदी के मंत्र का सहारा।