“स्त्री शक्ति ब्रह्मांड में सर्वोपरि, इसे स्वयं शिव ने ही सिद्ध किया, शिव की 167 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार
पटना।शिवरात्रि। शिव-पार्वती के विवाह का दिन और महिला दिवस एक ही दिन है। भारतीय परंपरा में शक्ति (स्त्री) सर्वोपरि है। स्वयं शिव ने इसे सिद्ध किया है। स्त्री शक्ति को ब्रह्मांड में सर्वोपरि माना।
हाजीपुर के पास सरसई सरोवर किनारे भगवान शिव की 167 फीट ऊंची प्रतिमा बनकर तैयार है। इस जगह का नाम श्री द्वारिका कैलाश धाम है।
32 किमी पटना से दूरी। सरसई परिसर ट्रस्ट का दावा है कि शिव की यह दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है।
52 बीघा के परिसर में फैला हुआ है श्री द्वारिका कैलाश धाम। निर्माण 2018 में शुरू किया गया था।
12 ज्योतिर्लिंग मंदिर के दूसरे तल पर। अप्रवासी भारतीय नारायण शर्मा के प्रयासों से काम शुरू हुआ था।
111 फीट ऊंची प्रतिमा है सासाराम के पायलटधाम में भगवान शिव की। जो बिहार में दूसरी सबसे ऊंची।
तीन पौराणिक कथाओं से इसे समझें
1 ब्रह्मा को जब सृष्टि की रचना करने में परेशानी आ रही थी तब शिव ने प्रेरणा दी कि ऐसे प्राणियों की रचना करें जो खुद अपने जैसे प्राणी उत्पन्न कर सकें। उन्होंने ब्रह्मा को अर्द्धनारीश्वर का रूप दिखाया। यानी पुरुष-स्त्री दो होकर भी एक होंगे व बराबर होंगे।
2 शिव ने स्त्रियों की निजता को सम्मान दिया। कथानुसार शिव, पार्वती संग वन विहार कर रहे थे। ऋषियों को पता चला तो वे दर्शन को आए। पार्वती झेंप गईं। शिव ने जंगल में ऐसा क्षेत्र बनाया जहां पुरुष स्त्री बन जाएं। आज बाजार इसे ‘माई स्पेस’ कहता है।
3 पिता दक्ष के यज्ञ में पति को आमंत्रण न मिलने से पार्वती हवन कुंड में कूद सती हो जाती हैं। क्रोधित शिव सती के शव को लेकर तांडव करते हैं। सती के अंग जहां-जहां गिरे वे स्थान शक्तिपीठ के रूप में पूजि
त हैं।