बिहार मे पेट की दवा के नाम पर बना रहे थे भांग का गोला; फैक्ट्री सील,12 गिरफ्तार
पटना.गाेपालपुर और रामकृष्णानगर थाने की सीमा पर देवनगर में स्थित एक फैक्ट्री में कानपुर की कंपनी त्रिदेव आयुर्वेदिक फार्मेसी के नाम पर नकली दवा बन रही थी। दवा में भांग मिलाया जा रहा था। इसका खुलासा साेमवार की रात उस वक्त हुआ, जब दाेनाें थानाें की पुलिस ने ड्रग इंस्पेक्टर की माैजूदगी में फैक्ट्री में छापा मारा। टीम ने वहां से करीब 2000 किलाे भांग, चारमीनार गाेल्ड माेनक्का नामक दवा, चार मशीन समेत अन्य सामान बरामद किया।
बरामद नकली दवा र मशीन की कीमत करीब 40 लाख रुपए है। पुलिस ने संचालक रंजीत कुमार ओर 11 मजदूराें काे गिरफ्तार कर लिया। रंजीत बाकरगंज का, जबकि मजदूर यूपी के हैं। तीन-चार माह से यह गाेरखधंधा चल रहा था। टीम ने फैक्ट्री काे सील कर दिया है। देर रात तक टीम बरामदगी की सूची बनाने में जुटी रही। सूची बनने के बाद डीआई राजेश कुमार और प्रभात चाैधरी के बयान पर गाेपालपुर थाने में केस दर्ज किया जाएगा।
चारमीनार गाेल्ड माेनक्का बन रही थी
फैक्ट्री में चारमीनार गाेल्ड माेनक्का नामक दवा बन रही थी। इसके एक पाउच का वजन करीब 40 ग्राम है। सहायक औषधि नियंत्रक डाॅ. सच्चिदानंद विक्रांत ने बताया कि यह दवा पेट राेग, अपच, मतली आने आदि के नाम पर बन रही थी। इसे भांग मिलाकर बनाया जा रहा था।
फैक्ट्री का लाइसेंस नहीं
कुछ दिन पहले रामकृष्णानगर थाने की पुलिस काे सूचना मिली थी कि देवनगर स्थित फैक्ट्री में नकली दवा बन रही है। पुलिस ने सादी वर्दी में जाकर वहां के बारे में सब कुछ पता लगा लिया। फिर पुलिस ने सहायक औषधि नियंत्रक डाॅ. सच्चिदानंद विक्रांत काे इसकी सूचना दी। सहायक औषधि नियंत्रक ने दाे ड्रग इंस्पेक्टराें काे आदेश दिया। उसके बाद दाेनाें थानाें की पुलिस ने वहां छापेमारी की। डाॅ. सच्चिदानंद ने बताया कि रंजीत की फैक्ट्री का काेई लाइसेंस भी नहीं है। वहां नकली दवा बन रही थी।
यूपी से लाए गए थे मजदूर
रंजीत ने यूपी से मजदूराें काे लाया था। ये मजदूर यूपी की फैक्ट्रियाें में काम कर चुके थे। दूसरी वजह यह है कि स्थानीय मजदूर रखने पर लाेगाें काे पता चल जाता। मजदूराें काे फैक्ट्री में ही रखा जाता था। उनका स्थानीय लाेगाें से काेई संपर्क नहीं था। टीम रंजीत के पास से बरामद माेबाइल की सीडीआर खंगालने में जुटी है। सूत्राें के अनुसार, नकली भांग से बनी दवा बिहार के कई जिलाें से लेकर बाहर भी सप्लाई हाेती थी। टीम यह पता लगाने में जुटी है कि कहां-कहां सप्लाई की जाती थी।