सीवान, सीतामढ़ी और जहानाबाद भी चाहिए,सिर्फ एक सीट मिलने से संतुष्ट नहीं है उपेंद्र कुशवाहा
पटना.लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान तो हो गया है। मगर, बिहार में NDA के अंदर सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। अब राष्ट्रीय लोक मोर्चा खुश नहीं है। बिहार में भाजपा की तरफ से गठबंधन में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को एक ही सीट दिए जाने की बात सामने आई है।
पार्टी सूत्रों की माने तो इससे उपेंद्र कुशवाहा संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें इसके साथ ही तीन और सीटें चाहिए। जिसमें सिवान, सीतामढ़ी और जहानाबाद शामिल है। वो बहुत पहले ही कह चुके थे कि 2014 में उनकी पार्टी RLSP को तीन सीटें NDA गठबंधन में होने के कारण मिली थी। अब नई पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा को उससे कम सीट में बनेगी भी नहीं है। यही कारण है कि उपेंद्र कुशवाहा लगातार दिल्ली में बने हुए हैं। शनिवार को अपने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद के साथ वो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने भी गए थे।
नहीं मिला कोई आश्वासन
जेपी नड्डा से मिलकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी बातों को रखा। उनसे सीट बढ़ाने की मांग की। पर सूत्र बताते हैं कि जेपी नड्डा की ओर से उपेंद्र कुशवाहा को कोई आश्वासन नहीं मिला है। सिर्फ उनकी बातें सुनी गई हैं। हालांकि, इस मामले पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का अलग ही तर्क है। भास्कर से फोन पर बातचीत में माधव आनंद ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ उपेंद्र कुशवाहा व उनकी मुलाकात बहुत अच्छी रही है बातचीत सकारात्मक हुई है। भाजपा के साथ अभी एक राउंड की बात होनी बाकी है। वो भी जल्द ही होगी।
जदयू की वजह से बिगड़ा गणित
बिहार में NDA के अंदर सीट शेयरिंग का गणित गठबंधन में जदयू की वापसी से बिगड़ा है। पिछले साल जब अपनी नई पार्टी के साथ उपेंद्र कुशवाहा NDA में शामिल हुए थे तब उन्हें सब कुछ ठीक लग रहा था। वो और उनकी पार्टी आश्वस्त थी कि उनकी मांग को भाजपा मान लेगी। लोकसभा की तीन या उससे अधिक सीटें उन्हें मिल जाएगी। मगर, NDA में वापसी के साथ नीतीश कुमार ने सारा खेल ही बिगाड़ दिया। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के तर्ज पर जदयू 16 सीट अकेले ही ले लेगी। जबकि, खुद भाजपा 17 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। बाकी 7 सीटों में पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोजपा, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री की पार्टी हम के बीच बांटने की तैयारी है।
बारगेनिंग और डिमांड का वक्त खत्म हुआ
पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट व सीनियर जर्नलिस्ट अरूण पांडेय के अनुसार अति पिछड़ी जातियों में उपेंद्र कुशवाहा मायने रखते हैं। कुशवाहा वोटरों पर उनकी पकड़ है। लेकिन, सम्राट चौधरी की वजह से उनकी पकड़ पहले की अपेक्षा कम हुई है। काराकाट लोकसभा सीट जदयू की है, जो NDA में होने के कारण अब उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा दे रही है और यही एक सीट उन्हें मिलेगी भी। यह बात उपेंद्र कुशवाहा भी बहुत अच्छे से जानते हैं। उन्हें पता है कि बारगेनिंग और डिमांड करने का वक्त अब खत्म हो चुका है। अब संभव नहीं है। वो बस अपने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मैसेज देने के लिए भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं। ताकि, ये न लगे कि उन्होंने कोई कोशिश की ही नहीं।