बिहार की पहली संरक्षण प्रयोगशाला बनी,समस्तीपुर के पुरास्थल पांड के सांस्कृतिक की दिखेगी झलक,यहां कृतियां संरक्षित होंगी
समस्तीपुर।राज्य के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक पटना म्यूजियम में बिहार की पहलासंरक्षण प्रयोगशाला तैयार हो चुकी है। 15 करोड़ की लागत से इसे तैयार किया गया है। इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स के साथ साइन किए गए एमओयू के तहत इसका निर्माण हुआ है। अभी तक संरक्षण का कार्य इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स और कुछ अन्य राज्यों में होता है। लेकिन अब मूर्ति, धातु, पेंटिंग और अन्य चीजों का संरक्षण इस प्रयोगशाला में होगा। इसके लिए शुक्रवार को कुछ उपकरण आए हैं, जिन्हें जल्द ही प्रयोगशाला में लगाया जाएगा। पटना संग्रहालय में रेनोवेशन के दौरान कई तरह की कई पेंटिंग, पांडुलिपियां, धातु और अन्य सामान मिले थे, जिन्हें संरक्षण की जरूरत थी। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रयोगशाला तैयार की गई। इस प्रयोगशाला से बिहार समेत अन्य राज्यों में स्थित संग्रहालय को फायदा मिलेगा। इसके लिए अभी चार क्यूरेटर लगे हुए हैं।
कैफेटेरिया, विशिष्ट अतिथि गृह, अमानती सामान घर होंगे
पटना संग्रहालय के मुख्य द्वार से प्रवेश के बाद पार्किंग क्षेत्र में बगीचे को विकसित किया जा रहा है। नए भवन के दक्षिणी भाग से दर्शकों को प्रवेश मिलेगा, जहां पर आगंतुक सेवा केंद्र भी स्थापित किया गया है। इस भाग में कैफेटेरिया, विशिष्ट अतिथि गृह, अमानती सामान घर, अस्थायी प्रदर्शनी होगी। उत्तरी भाग में संग्रहालय के पुरावशेषों को रखने के लिए संग्रह कक्ष, संरक्षण प्रयोगशालाओं के साथ काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के लिए कार्यालय स्थापित किया गया है।
105 सीटों वाला ऑडिटोरियम बनेगा : बिहार म्यूजियम की तरह इस म्यूजियम में भी 105 सीटों वाला एक ऑडिटोरियम बनाया जा रहा है। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसका उद्देश्य दर्शकों तक विभिन्न मुद्दों पर जानकारी देनी है। 500 लोगों के बैठने के लिए ओपन स्टेज का निर्माण हो चुका है। यह बहुत जल्द शुरू हो जाएगा।
60 से 90 के दशक की कई मूर्तियां
पटना संग्रहालय में कुल 21 बक्से मिले हैं, जिनमें से 19 को खोला गया है। इनमें पत्थर की मूर्तियां, हड्डी, टेरीकोटा, धातु मिले हैं। इनका वैज्ञानिक रूप से और डाक्यूमेंटेशन किया जाएगा। इसके बाद गंगा और पाटलिपुत्र गैलरी में लगाया जाएगा। बक्सर, सारण, समस्तीपुर और चंपारण में मिले अवशेष को भी दर्शाया जाएगा। समस्तीपुर के पुरास्थल पांड के सांस्कृतिक जमावों और पूर्वी चंपारण के केसरिया स्तूप की एक नकल को दर्शाया जाएगा। दर्शकों को हिंदी और अंग्रेजी ऑडियो-वीडियो के माध्यम से जानकारी मिल पाएगी।