पूसा मे तीन दिवसीय कृषि मेला का आयोजन:उपमुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन,लगाए गए 180 स्टॉल
समस्तीपुर जिले के पूसा स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय विश्व स्तरीय कृषि मेला शुरू हुआ मेला का विधिवत उद्घाटन किया गया। बिहार के डिप्टी सीएम और कृषि मंत्री विजय सिंह ने शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जबतक किसान वोकल फॉर लोकल की ओर नहीं बढ़ेंगे तब तक उनकी दशा और दिशा नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि पूसा का यह केंद्रीय विश्वविद्यालय नित नए नए तकनीकों का विकास कर रहा है। उन्होंने खासकर यहां के कुलपति से कहा कि वे विवि में पढ़ने वाले छात्रों को क्षेत्र के गांव में भेजकर किसानों को विश्वविद्यालय के नए-नए तकनीकों से रूबरू कराएं जिससे क्षेत्र के किसान लाभाविन्त हो सकें।
मन के संतुलन के लिए शोध जरूरी
उन्होंने कहा कि मन के संतुलन के लिए शोध जरूरी है लेकिन केवल सैद्धांतिक ज्ञान अर्जित करने से कुछ खास नहीं होने वाला हैं। किसानों से वातावरण के अनुरूप कृषि कार्य करवाने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि हमें भौतिकवादी सिस्टम को त्याग कर प्राचीन कृषि की ओर मुड़ना होगा। प्रकृति की शुद्धता के लिए उन्होंने जल जीवन हरियाली पर जोर डाला।
जनसंख्या के अनुसार उत्पादन भी बढ़ाना होगा
उन्होंने कहा कि देश की जनसंख्या अब 140 करोड़ को भी पार कर गई हैं। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों को नई तकनीक और अनुसंधान से किसानों को जोड़कर उनके अन्न के उत्पादन को बढ़वाना होगा। उन्होंने कहा को हमारी आने वाली पीढ़ी प्राकृतिक खेती से लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा सिखाती है और विद्या बताती है। युवा पीढ़ी को क्षेत्र के बुजुर्ग किसानों से सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि हमसबों के लिए एक वरदान हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के पूर्वजों ने इस पूसा को अनुसंधान की धरती बनाने के लिए खेती किसानी में अपना बहुत पसीना बहाया हैं। उन्होंने कहा कि वैसे बुजुर्ग किसान जिन्होंने खेती करने में बाढ़, सुखार, बारिश, ओले आदि का सामना किया है उनसे युवा किसानों को सीख लेने की जरूरत हैं।
‘कृषि के लिए होना चाहिए सर्वाधिक शोध’
उन्होंने कहा कि कृषि पर सबसे ज्यादा शोध होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि बड़े महलों में न रहकर छोटे घरों में रहा जा सकता हैं लेकिन अपनी भूख को मिटाने के लिए बिना अन्न खाएं कोई नही रह सकता। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक के पास किताबी ज्ञान है जबकि किसानों के पास अनुभव का किताब हैं। दोनों ज्ञान को एक जगह मिलाकर जब काम किया जाएगा तब जाकर कृषि लाभकारी बनेगा। उन्होंने कहा कि रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र कृषि ही है।
मेले में लगाए गए 180 स्टॉल
मेले में विभिन्न तकनीकों से संबंधित कुल 180 स्टॉल लगाएं गए थे जहाँ किसान पहुँचकर कृषि तकनीक और फसलों के प्रभेद की जानकारी ले रहे थे। मंच संचालन कुमारी अंजनी व धन्यवादज्ञापन डॉ. जितेंद्र प्रसाद ने किया। मौके पर विधान परिषद सदस्य डॉ. तरुण कुमार, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामसुमिरन सिंह, विवि के बोर्ड ऑफ मेंबर जय कृष्ण झा, विवि के पूर्व वैज्ञानिक नवल किशोर चौधरी, कुलसचिव डॉ. मृत्यंजय कुमार, डॉ. एमएस कुंडु आदि मौजूद थे।