अब लोगो को थाना पर बैठाया तो देना होगा मुआवजा,पटना हाईकोर्ट का आदेश- पीड़ित को दें एक लाख का मुआवजा,जाने पुरा मामला
पटना के कंकड़बाग थाना अंतर्गत एलआईजीएच हाउसिंग कॉलोनी के नजदीक हाउसिंग बोर्ड के एक फ्लैट से तथाकथित तौर पर पुलिस बल की सहायता से गुंडों द्वारा जबरन मकान खाली कराए जाने और मकान में रहने वाले व्यक्ति को बिना किसी कारण के सुबह से शाम थाने में जबरन बैठाए रखने के मामले में पटना हाई कोर्ट ने गंभीर रूप अपनाया है।पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बतौर मुआवजा एक लाख रुपए भुगतान करने का निर्देश दिया है। मुआवजे की राशि को याचिकाकर्ता को दो महीने में भुगतान करनी होगी।
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने बिहार पुलिस को निर्देश दिया है कि बिना किसी कारण के या किसी आपराधिक मामले में पड़ताल या पूछताछ की जरूरत के बगैर ही याचिकाकर्ता को जबरन थाना ले जाने और उसे वहां अवैध तरीके से बंधक बनाए रखने में जिन पुलिस कर्मियों की भूमिका है, उन्हें चिन्हित कर उनसे इस मुहावजे की राशि वसूली की जाए और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाए।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने सागर प्रसाद की अपराधिक रिट याचिका को निष्पादित करते हुए यह फैसला सुनाया।
सभी थानों को दिशा निर्देश जारी करने का आदेश
हाईकोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को भी आदेश दिया है कि वह फौरन भी सभी थानों में यह दिशानिर्देश जारी करें कि बिना किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त बनाए हुए या शक के आधार पर या किसी आपराधिक मामले की जांच पड़ताल या पूछताछ के सिलसिले के अलावा अगर कोई अन्य कारण ना हो तो किसी भी व्यक्ति को पुलिस जबरन गाड़ी पे बैठकर थाने में सुबह से शाम नहीं रखा जा सकता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता के वकील सुधांशु त्रिवेदी ने कोर्ट को बताया कि 17 अगस्त 2022 के सुबह जबरन कुछ गुंडों के साथ दो अपराधी किस्म के व्यक्ति आए और कहने लगे कि मकान खाली करो, क्योंकि इसे हमने खरीद लिया है।यही नहीं नजदीकी कंकड़बाग थाने से एक महिला दरोगा और वहां के थानाध्यक्ष उन्हें जबरन जीप में बैठाकर थाने में ले गए और वहां सुबह से शाम बैठा रखा।पुलिस ने याचिकाकर्ता के बयान और उसके आरोपों पर कोई प्राथमिकी तक भी दर्ज नहीं किया जिसके लिए उसे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।”