Monday, November 25, 2024
Patna

Land Registry: जमीन रजिस्ट्री के नियमों में हुए बदलाव से लोग परेशान,ये भी है जरूरी

Land Registry:समस्तीपुर।वारिसनगर। सरकारी स्तर से जमीन रजिस्ट्री के नियमों में हुए बदलाव से क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह बनी हुई है कि लोग अपने नाम की जमाबंदी तथा करेंट रसीद वाले जमीन की रजिस्ट्री करने आते हैं तथा कातिब चालान की राशि भी जमा कर देता है, परंतु रजिस्ट्रार के पास जाने के बाद पता चलता है कि यह जमीन नए नियम के तहत रजिस्ट्री नहीं की जा सकती है।

 

 

बता दें कि 10 अक्टूबर 2019 को मद्य निषेद्य, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की अधिसूचना सं. 4/एम-1-12/2019-3644 निकाली गई थी। इसमें सरकार के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 (निबंधन एवं संबंधित विधि (संशोधन) अधिनियम, 2001 द्वारा यथा संशोधित) की धारा – 69 की उप धारा (1) खण्ड (क) एवं (क क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निबंधन महानिरीक्षक के अनुमोदन से बिहार रजिस्ट्रीकरण नियमावली, 2008 के नियम-2 के उप नियम-(xviii) के बाद उप नियम-(xix) एवं (xx) तथा नियम-19 के उप नियम-(xvi) के बाद उप नियम (xvii) एवं उप नियम (xviii) को जोड़ा था।

 

इस अधिसूचना को 11 अक्टूबर से प्रभावित कर दिया गया था। इसके बाद उच्च न्यायालय में सीडबल्यू जेसी नंबर 21416 तथा 21386 के द्वारा निर्गत इस अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। उक्त दोनों वादों मे उच्च न्यायालय ने 24 अक्टूबर 2019 को आदेश पारित कर अधिसूचना पर रोक लगा दिया। फिर 9 फरवरी 2024 को उच्च न्यायालय ने इस तरह के सभी वादो को समेकित कर उक्त अधिसूचना को जारी करने का आदेश दिया था।

 

21 फरवरी को जारी हुई अधिसूचना उप निबंधन महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय ने 21 फरवरी 2024 को संबंधित पदाधिकारीगण को उक्त आदेश की प्रति भेजते हुए पूर्व अधिसूचना के अनुपालन करने का आदेश दिया है। इस नियम के पुनः चालू होने के बाद रजिस्ट्री ऑफिस के क्रियाकलापों की जानकारी लेने मंगलवार को 2:10 बजे जागरण टीम किशनपुर स्थित रजिस्ट्री ऑफिस पहुंची तो वहां सन्नाटा पसरा मिला। सभी कर्मी मानों काम करने के लिए नहीं वरना आराम फरमाने व गप्प लगाने के लिए आए हुए हैं।

 

जमाबंदी के साथ-साथ ऑनलाइन भी दुरूस्त होना जरूरी

अपर निबंधक के ऑफिस में जाने पर वह कुछ विभागीय कार्य करती मिलती हैं। लिपिक अमरनाथ महतो ने बताया कि इस अधिसूचना के जारी होने के बाद विक्रेता के नाम से जमाबंदी होना अनिवार्य तो है ही, साथ ही ऑनलाइन में उसका खाता-खेसरा भी उल्लेखित होना जरूरी है।

 

अधिसूचना जारी होने से पहले 624 तो जारी होने के बाद महज 2 रजिस्ट्री की गई। वहीं, कार्यालय के बाहर बेकार बैठे कातिब बताते हैं कि वर्ष 1916 से पूर्व जिन व्यक्ति के नाम से जमाबंदी दर्ज है। उनका भी निबंधन फिलवक्त असंभव हो गया है, क्योंकि उनका जमाबंदी ऑनलाइन चेक करने पर खाता-खेसरा की जगह पर शून्य लिखा हुआ आता है। उनका बताना था कि सरकार के द्वारा पहले सभी जमीन का पूर्ण ब्योरा ऑनलाइन करवा दिया जाता फिर इस अधिसूचना को जारी किया जाता तो सभी परेशान नही होते व अभी जो राजस्व की क्षति हो रही है वह नहीं होती।”

Kunal Gupta
error: Content is protected !!