12 वर्ष पहले जनेऊ तोड़कर लिया था संकल्प:मृत दरोगा को जिंदा साबित करने के बाद हुआ यह काम…
पटना।मुजफ्फरपुर में खुद की डेथ रिपोर्ट पेश कर मृत साबित करने वाले बिहार पुलिस के दरोगा के प्रकरण को सामने लाने अधिवक्ता एस के झा अब अपना जनेऊ धारण कर लिया। दरअसल पिछले 12 सालो से कोर्ट की फाइल में मृत दरोगा को जिंदा ढूंढ निकालने की प्रतिज्ञा 12 वर्ष की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब जाकर पूरी हुई है। जिसके बाद मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय परिसर में मौजूद हनुमान मंदिर में आयोजित विशेष पूजा के बाद वरीय अधिवक्ता एस के झा ने कई वरीय अधिवक्ताओं की मौजूदगी में अपना जनेऊ धारण किया गया।
क्या बोले अधिवक्ता
इस मौके पर दैनिक भास्कर डिजिटल से बातचीत करते हुए वरीय अधिवक्ता एस के झा ने बताया की उन्होंने कानून के रिकॉर्ड में दर्ज मृत दरोगा को जिंदा साबित करने के लिए पिछले 12 वर्षो से उसे खोज रहें थे। जहां कड़े संघर्ष और मेहनत के बाद कानून को ठेंगा दिखाने वाले दरोगा नटवरलाल रामचंद्र सिंह को अब जाकर कोर्ट में जिंदा साबित करने में सफलता मिली है। अधिवक्ता एसके झा ने बताया की यह पूरी कानूनी लड़ाई बतौर अधिवक्ता के रूप में उनके एक चैलेंज के रूप में लिया था। जिसमे दैनिक भास्कर डिजिटल की टीम का बहुत ही अहम सहयोग मिला। जिसके वजह से मृत दरोगा को कोर्ट में जिंदा साबित करने में उन्हें कामयाबी मिली है। जिसके बाद अब जाकर अब उनके जनेव पहनने का प्रण पूरा हुआ है।
गौरतलब है पूरा मामला बिहार पुलिस के एक दरोगा के बड़े फर्जीवाड़े का है। जिस कहानी की शुरुआत होती मुजफ्फरपुर कोर्ट से होती है। जहां 4 नवंबर 2012 से मुजफ्फरपुर के नेवरी गांव में स्कूल टीचर अनंत राम पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया। जिसमे अहियापुर थाने में तैनात दरोगा रामचंद्र सिंह ने मौका ए वारदात पर पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। जब मामले की कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ तो कोर्ट ने इन्वेस्टिगेशन अफसर दरोगा रामचंद्र सिंह को समन जारी कर गवाही के लिए तलब किया। जहां दरोगा की पत्नी ने कोर्ट को बताया कि रामचंद्र सिंह की 15 दिसंबर 2009 को ही मौत हो गई।