दलसिंहसराय में सजा तिलकुट का बाजार,गुड़, खोआ से बनी तिलकुट की बढ़ी मांग,मिठास का महीना है जनवरी
दलसिंहसराय(कुणाल गुप्ता ):मकर संक्रांति को लेकर दलसिंहसराय बाजार में तिलकुट की होलसेल से लेकर खुदरा की दुकानें सज गयी हैं. संक्रांति को लेकर तिलकुट बनाने से लेकर खरीद-बिक्री का कारोबार अब रफ्तार पकड़ रही है.शहर के गुडरी रोड, रामाश्रय नगर मार्केट, महाबीर चौक,मालगोदाम रोड,सरदारगंज चौक, गोला पट्टी में दो दर्जन दुकानों पर तिल, गुड़, चीनी एवं खोआ से बनी हुई वेरायटी तिलकुट को लेकर खरीदारों को आकर्षित कर रही है.तिल से बने रेवड़ी से लेकर तिल का लड्डू, रौल रजक, स्पेशल खोवा का तिलकुट, घी व पिस्ता, तिल इलायची के साथ गुड़ से बने तिलकुट बाजार में मौजूद है.तिलकुट व्यवसायियों की माने तो पिछले साल दलसिंहसराय अनुमंडल क्षेत्र में जँहा 5 से 10 क्विंटल तिलकुट का निर्माण प्रतिदिन होता था.वही इस बार बढ़ कर 6 से 12 क्विंटल तिलकुट का ही निर्माण हो रहा है.
महावीर चौक स्थित तिलकुट कारोबारी सुनील कुमार की माने तो विगत वर्ष की तुलना में तिलकुट का दाम बढ़ा है.उनके यहां गया व नवादा जिले के कारीगर बिक्रम कुमार की देख रेख में तिलकुट निर्माण करते है.ज्यादातर तिलकुट को प्लास्टिक के डब्बे में बन्द कर के दे रहे है.जो लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र है.उन्होंने बताया कि पहले लोग मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व तिल के सामानों की खरीददारी किया करते थे और उसी दिन उसे खाना पसंद करते थे. लेकिन अब लोग मकर संक्राति का इंतजार नहीं करते.और जब से दुकान लगती है तभी से तिलकुट के शौकीन लोग तिलकुट खरीदना शुरू कर देते है.
वही मालगोदाम रोड स्थित तिलकुट कारोबारी राज कुमार के अनुसार वैसे तो लोग अपनी क्षमता के अनुरूप तिलकुट की खरीदारी करते हैं.अभी 200 से लेकर 350 रुपये किलो तक कि तिलकुट यहां उपलब्ध है.सबसे अधिक डिमांड तिल में खोवा एवं शुद्ध घी से बने तिलकुट का है.
तिल महंगा होने से महंगे बिक रहे तिलकुट ।
बताया जाता है कि उजला तिल इस साल 200 से 250 रुपए किलो है.तिलकुट भी महंगे बिक रहे हैं.सुनील व राज ने बताया कि खास्ता तिलकुट 200 रुपए,स्पेशन 250,गुड वाला 300,पापड़ी रोल 280,खोआ तिलकुट 400,पापड़ी रुमाली 260, कटोरी व रेवड़ी 180 रुपए किलो बिक रहा है.
मिठास का महीना है जनवरी,मकर संक्राति, पोंगल, लोहड़ी, बिहू, टुसू इसी माह।
जनवरी त्योहारों के उत्साह और मिठास से भरा महीना होता है. इस महीने में मकर संक्राति, पोंगल, लोहड़ी, बिहू, टुसू सहित अन्य त्योहार मनाए जाते हैं.इन त्योहारों के साथ जीवन में मिठास घुलती है.पर्व पर तिल, गुड़, चावल के व्यंजन बनाने की परंपरा है,जो सालों भर रिश्ते में मिठास की सीख देती है.
जनवरी महीने में मनाए जाने वाले त्योहार
13 जनवरी: लोहड़ी।
पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है.जो पंजाबी समुदाय काफी उत्साह के साथ लोहड़ी पर्व मनाता है.इस मौके पर रात के समय अग्नि जलाई जाती है.अग्नि में तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली आदि डालकर भगवान से प्रार्थना की जाती है. इसमें नई फसल भी अर्पित की जाती है.लोग ठंड की विदाई की कामना करते हैं.
15 जनवरी: मकर संक्रांति,बिहू,पोंगल मनेगा।
दलसिंहसराय के पंडित तंतनाथ झा बताते है कि 15 जनवरी को सुबह 8:42 बजे भगवान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे.इसके बाद से संक्रांति का पुण्य काल शुरू हो जाएगा.इस दिन गंगा सहित अन्य सहायक नदियों में डुबकी लगाने की परंपरा है.मकर संक्रांति में तिलकूट, चूड़ा व लाई का खास महत्व है.इसी दिन खरमास माह की समाप्ति हो जाती है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाकर दान करने की परंपरा है, इसलिए इसे खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है.
बिहू असम का प्रमुख त्योहार है.इसकी शुरुआत जनवरी माह से होती है,जिसे भोगाली बिहू के नाम से जाना जाता है.इसके बाद यह अप्रैल में मनाया जाता है,जिसे रोंगाली बिहू कहा जाता है.
तो तमिल समाज 15 जनवरी को पोंगल पर्व मनाते हैं.इस त्योहार से नए साल की शुरुआत होती है.इसका उल्लास चार दिनों तक रहता है. इसके पहले 14 जनवरी को भोगी मनाया जाता है.इस दिन घरों से निकाले गए सभी कचरों को घर से दूर आग लगा देने की परंपरा है.
16 जनवरी: टुसू पर्व।
टुसू पर्व प्रसिद्ध लोकपर्व है.इसे नववर्ष का उत्सव भी कहा जाता है. यह पर्व पौष माह के अंत में मनाया जाता है.इसलिए इसे पूस पर्व भी कहा जाता है.यह उत्सव पश्चिम बंगाल के काशीपुर के महाराजा की बेटी टुसू की याद में मनाया जाता है.
17 जनवरी: गुरु गोबिंद सिंह जयंती।
इस दिन सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था.उनका जन्म पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन 1666 में बिहार के पटना शहर में हुआ था.उन्होंने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी.इस दिन गुरुद्वारों को भव्य रूप से सजाया जाता है.
21 जनवरी: पुत्रदा एकादशी।
पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत करने से संतान प्राप्ति होती है.संतान की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इस एकादशी को पापों का नाश करने वाला भी माना जाता है.पुत्रदा एकादशी की कथा पढ़ना और सुनना का पुण्य कई गाय के दान के बराबर होता है.
25 जनवरी: पौष पूर्णिमा।
इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा का विशेष महत्व है.पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से पूरे महीने की पूजा, पाठ, तप करने के समान फल प्राप्त होता है. मां लक्ष्मी सालभर मेहरबान रहती है.