Monday, November 25, 2024
Patna

RJD क्या विधानसभा अध्यक्ष के जरिए करेगी ‘खेला’:NDA की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष कितने है पावरफुल

पटना।महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने NDA में शामिल होकर नई सरकार बना ली है। इस पर CM नीतीश के डिप्टी रहे तेजस्वी यादव ने कहा कि असली खेला अभी बाकी है। मैं जो कहता हूं वो करता हूं। अब विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी का रोल अहम हो गया है। चौधरी आरजेडी के विधायक हैं और लालू प्रसाद यादव के खास माने जाते हैं।NDA चाहता है कि चौधरी से बगैर विवाद इस्तीफा ले लिया जाए। लेकिन, कहा जा रहा है कि अवध बिहारी खुद से इस्तीफा देने को तैयार नहीं होंगे। इस स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाया जा सकता है।संविधान के जानकार बताते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना होगा। भारत के संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत उन्हें 14 दिन पहले कोई सदस्य नोटिस देगा और कम से कम 38 सदस्य खड़े होकर कहेंगे कि यह मोशन सही है।

 

क्या खेला बिगाड़ने की ताकत रखते हैं अध्यक्ष

 

मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में अवध बिहारी चौधरी यही कर सकते हैं कि यदि जनता दल यूनाइटेड या भारतीय जनता पार्टी के विधायक उन्हें अपना इस्तीफा लिखकर दें तो वह उसे स्वीकार कर लेंगे। तेजस्वी यादव के पास सब मिलकर 115 विधायकों की ताकत है। अगर तेजस्वी, जेडीयू और भाजपा मिलाकर 14 विधायकों का इस्तीफा अध्यक्ष के पास भेजवाकर मंजूर करा देते हैं तो विधानसभा की स्ट्रैंथ 243 से घटकर 229 हो जाएगी। इसके बाद तेजस्वी बहुमत में आ सकते हैं। लेकिन ऐसे समीकरण बनेंगे, फिलहाल इस पर कुछ कहना मुश्किल लग रहा है।

 

बहुमत के पहले अध्यक्ष को हटाने के लिए फ्लोर टेस्ट

 

विधानसभा अध्यक्ष यदि स्वत: इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्हें हटाने के लिए फ्लोर टेस्ट होगा। उस समय सदन का संचालन उपाध्यक्ष करेंगे। नियम है कि अविश्वास के नोटिस का समाधान होने तक कोई भी अध्यक्ष कुर्सी पर नहीं बैठ सकता। सत्र के दौरान तेजस्वी बीजेपी और जदयू के कुछ विधायकों को अनुपस्थित करवा सकते हैं। ऐसा करके अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव गिराया जा सकता है। हालांकि, फिलहाल ऐसे समीकरण दिख नहीं रहे हैं।खेला को लेकर बीजेपी और जेडीयू की सतर्कता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ के बाद पहला निशाना स्पीकर ही रहे । विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ भाजपा के नंदकिशोर यादव ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को थमा दिया। नोटिस में कहा गया है कि नई सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर इस सभा का विश्वास नहीं रह गया है।

 

नोटिस पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हम (से) , पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद (भाजपा), जदयू के विनय कुमार चौधरी, रत्नेश सदा समेत कई और विधायकों के भी हस्ताक्षर है। सत्ता पक्ष को 128 तो विपक्षी महागठबंधन को 114 विधायकों का समर्थन हासिल है। एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान किसी गठबंधन के साथ नहीं हैं। चौधरी राजद के विधायक हैं।चूंकि 14 दिन का समय देना होगा, इसमें ज्यादा देरी नहीं हो इसलिए बगैर देरी किए शपथ ग्रहण के बाद ही अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास का नोटिस विधानसभा सचिव को दे दिया गया। यह नोटिस भाजपा विधायक नंदकिशोर यादव ने दिया है।

 

14 दिन का गैप जरूरी

 

5 फरवरी से सत्र आहूत किया गया था। अब इसे बढ़ाया जा रहा है। ऐसा इसलिए कि वर्तमान स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया गया है और नोटिस और सत्र के बीच 14 दिनों का गैप जरूरी है। ऐसे में सत्र 12 फरवरी या उसके बाद ही सत्र आहूत होने की संभावना है।वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार कहते हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की तरफ यानी दोनों ओर से भरपूर कोशिशें जारी हैं एक-दूसरी की पार्टी की तोड़ने की। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव विधान सभा अध्यक्ष के जरिए खेल करने में सफल हो जाते हैं, फिर बिहार में तो 2000 वाला इतिहास दोहराया जा सकता है, जिसमें नीतीश को इस्तीफा देना पड़ा था।

 

एक तरफ तेजस्वी यादव हर दांव खेलने को तैयार हैं दूसरी तरफ बीजेपी और जेडीयू भी इस ताक में है कि आरजेडी को कैसे कमजोर किया जाए। लालू परिवार सीबीआई और ईडी की जद में है। वह राजनीति में कितना दिमाग लगा पाएगा यह भी चैलेंज है, लेकिन अगर विधानसभा अध्यक्ष के सवाल पर नीतीश को इस्तीफे की नौबत आती है तो बीजेपी बिहार में राष्ट्रपति शासन लगवा सकती है। जेडीयू-बीजेपी अलर्ट मोड में हैं कि उनका एक भी विधायक न टूटे।

Kunal Gupta
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