विश्व में 20 % मातृ मृत्यु अनीमिया के कारण-डॉ.हिमांशु भूषण
पटना- कुपोषण एवं अनीमिया से निजात पाने के सुझावों पर राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में मुख्य अथिति एवं वक्ता सचिव स्वास्थ्य सह कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार संजय कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में अनीमिया की जांच के लिए हेमोग्लोबीनोमीटर सभी जिलों को उपलब्ध कराये गए हैं लेकिन इसके इस्तेमाल को और अधिक बढ़ाने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि लाभार्थियों की दी जाने वाली आईएफए की गोलियों का इस्तेमाल बढ़ाने की जरुरत है. फूड फोर्टीफीकेशन द्वारा अनाजों के पोषक तत्व को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे लाभार्थियों को कुपोषण से मुक्ति पाने में सहूलियत होगी. उन्होंने कहा कि अनीमिया एम सर्वभौमिक स्वास्थ्य समस्या है और यह समुदाय के सभी वर्गों के लोगों को अपनी चपेट में लेता है. इससे निजात पाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरुरत है.
पटना स्थित होटल मौर्या में राज्य स्वास्थ्य समिति एवं पाथ संस्था द्वारा आयोजित कार्यशाला में डॉ. श्रीनिवास प्रसाद, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, अनीमिया मुक्त भारत, डॉ. बी.पी.राय, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य, अभांशु जैन, कृषि विभाग, बिहार सरकार, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से डॉ. अंचिता पाटिल, पाथ संस्था के कंट्री डायरेक्टर, नीरज जैन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. हिमांशु भूषण, एम्स जोधपुर के निओनेटोलाजी विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर डॉ. अरुण कुमार सिंह, राज्य के विभिन्न जिलों से आये स्वास्थ्य अधिकारी एवं चिकित्साकर्मी सहित कई पदाधिकारी एवं सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे.
अनीमिया एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या:
कार्यशाला को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. हिमांशु भूषण ने बताया कि अनीमिया एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में 70 % मातृ मृत्यु का कारण अनीमिया है. इसमें 20 % सीधे अनीमिया के कारण तथा शेष 50 % अनीमिया से जुड़े कारणों की वजह से होती है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में करीब 1.60 करोड़ आबादी अनीमिया से ग्रसित है.
दिमागी पोषण शारीरिक पोषण से ज्यादा जरुरी:
एम्स जोधपुर के निओनेटोलाजी विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि दिमागी पोषण शारीरिक पोषण से ज्यादा जरुरी है. उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं का तनावग्रस्त होना उनके गर्भस्थ शिशु के मानसिक एवं बौद्धिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. उन्होंने बताया कि अनीमिया आयरन की कमी के बिना भी हो सकता है. सभी को किशोरी बालिकाओं को अपने खान पान पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से डॉ. अंचिता पाटिल ने कहा कि सिर्फ आयरन की कमी से अनीमिया नहीं होता है बल्कि इसके पीछे कई कारण होते हैं. आयरन की कमी से मानसिक एवं शारीरिक विकास प्रभावित होता है और इससे निजात पाने के लिए लगातार एकजुट होकर काम करने की जरुरत है. कृषि विभाग से आये अभांशु जैन ने बताया कि कृषि विभाग फूड फोर्टीफीकेशन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेगा और अनीमिया से मुक्ति पोषण युक्त आहार के सेवन से ही संभव है. पाथ संस्था के कंट्री डायरेक्टर, नीरज जैन ने कहा कि अनीमिया से मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयास के साथ नियमित बैठक एवं चिंतन करने की जरुरत है.
डॉ. श्रीनिवास प्रसाद, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, अनीमिया मुक्त भारत ने कहा आईएफए गोलियों की खपत का ससमय रिपोर्टिंग आवश्यक कई क्यूंकि इससे आगे की नीति बनाने में मदद मिलती है. शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि ने भी अपनी राय कार्यशाला में रखी.विभिन्न जिलों द्वारा अपने जिले में अनीमिया की स्थिति को दर्शाया गया और ग्रुप कार्य भी किये गए. कार्यशाला का संचालन पाथ के राज्य प्रतिनिधि अजीत कुमार सिंह ने किया.