Success Story;दलसिंहसराय की बेटी फुटबॉल टीम की खिलाड़ी साधना ने पहली बार में ही पास की BPSC की परीक्षा,जाने सफलता की कहानी
Success Story; पदमाकर सिंह लाला, विद्यापतिनगर (समस्तीपुर/दलसिंहसराय)।पंख से नहीं बल्कि हौसलों से उड़ान होती है। सच्ची लगन, निष्ठा,त्याग,मेहनत और समर्पण भाव से किए गए हर काम में
पांच वर्षों तक सीनियर फुटबॉल टीम की सदस्य रहीं
लगभग पांच वर्षों तक निरंतर बिहार महिला सीनियर फुटबॉल टीम की अहम सदस्य रहीं साधना अब दरभंगा जिले के हायाघाट प्रखंड स्थित प्राथमिक विद्यालय इनामात में बतौर शिक्षिका योगदान दे छात्रों के सपनों को संजो रहीं हैं। पढ़ोगें लिखोंगे बनोंगे नवाब,खेलोंगे कूदोंगे होंगे खराब की उक्ति के विपरीत खेल और पढ़ाई दो विपरीत विधाओं में समन्वय स्थापित कर साधना ने कभी हिम्मत नहीं हारी। दो-दो फ्रंट पर एक साथ मेहनत की और अब बेहतर मुकाम हासिल किया हैं । अपने सपनों को गोल पोस्ट तक पहुंचाने तक अदम्य साहस व तन्मयता से जुटी रहीं साधना के पिता Dalsinghsarai अनुमंडल के विद्यापतिनगर प्रखंड के मिर्जापुर गांव निवासी रामनरेश सिंह पेशे से ट्रक ड्राईवर हैं। जबकि माता शीला देवी एक सामान्य गृहिणी है। छह बहन व दो भाईयों के बीच साधना बचपन से ही पढ़ाई में भी मेधावी रही। खेल के मैदान में अपनी करिश्माई जौहर से न केवल गांव बल्कि जिला और राज्य के लोगों को भी अपने में छिपी प्रतिभा का अहसास कराने के दरम्यान ही 2018 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसी बीच अखिल भारतीय सुब्रतो मुखर्जी बालिका फुटबॉल कप के लिए बिहार टीम की कप्तान के रुप में चयनित हुई।
खेल के साथ ही अपनी पढ़ाई को भी देती है अहमियत
खेल के साथ ही अपनी पढ़ाई को लेकर पूरी तन्मयता से जुटी साधना ने वर्ष 2020 में इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने के बाद डीईएलएड कर इसी वर्ष सीटीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही बीपीएससी शिक्षक परीक्षा के घोषित परिणाम में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। साधना के फुटबॉल कैरियर का सफर 2016 में शुरु हुआ। विद्यापति महिला फुटबॉल क्लब के संयोजन में लगातार प्रशिक्षण व अभ्यास की बदौलत साधना ने कम समय में ही अपने जोश और उत्साह की बदौलत बिहार महिला फुटबॉल टीम (अंडर 17) में जगह बना लिया। इसके बाद कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखने का दृढ़ संकल्प लें लिया। बकौल साधना गांव में सुविधा नहीं होने के बावजूद परिवार के लोगों ने फुटबॉल के प्रति उनकी दीवानगी को देखते हुए सहयोग में कोई कमी नहीं आने दी। वह गांव से चलकर फुटबॉल खेलने जब मैदान में लड़कों के साथ आती थी तो लोग ताने मारने से भी बाज नहीं आते थे। वर्ष 2018 में उसका चयन जिला महिला टीम में हो गया।
ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन हुआ था चयन
2018 में ही ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन द्वारा कटक में आयोजित अंडर- 17 टीम में हुआ। 2019 में हैदराबाद तथा रांची में आयोजित अखिल भारतीय स्कूली टीम का हिस्सा रही। इसी टीम से वह गोवा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, पंजाब, छत्तीसगढ़ आदि जगहों पर खेलने गई। 2019 में ही बिहार सीनियर महिला फुटबॉल टीम में उसका चयन हो गया। प्रधानमंत्री ऊर्जा कप में बिहार राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए 2020, 2021 और 2022 में वह टीम की हिस्सा बनी रहीं। अब शिक्षा के क्षेत्र में जाने का अवसर प्राप्त हो गया है। बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली साधना कहती हैं कि फुटबॉल में बने रहने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है। इसमें खर्च भी अत्यधिक होता है। परिवार की माली स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। घर से शादी का दबाव आने लगा। ऐसे में दूसरे विकल्प पर भी नजर थी।
दूसरा विकल्प शिक्षा के क्षेत्र में नजर आया
दूसरा विकल्प शिक्षा के क्षेत्र में नजर आया। खेल के साथ ही पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करती रही। घर की कमजोर स्थिति के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई और फुटबॉल में अत्यधिक खर्च होने के कारण उसने एक निजी विद्यालय में बच्चों के खेल शारीरिक शिक्षिका व कोचिंग संस्थान में शिक्षिका के रूप में नौकरी भी की। उसने हिम्मत नहीं हारी और बेहतर करने की ठान। अब बीपीएससी शिक्षक परीक्षा उत्तीर्ण हो दरभंगा में अपना योगदान दिया है। साधना कहतीं हैं कि वें अब शिक्षा के साथ ही बच्चों को खेल की ट्रेनिंग भी देंगी।