टीबी को लेकर भ्रांतियों को तोड़ने का जरिया बन रहा मस्जिद,टीबी की जांच और इलाज के संबंध मे दी जा रही जानकारी
पटना;बक्सर, 18 दिसंबर | जिले को टीबी से मुक्त करने लिए स्वास्थ्य विभाग की कवायद जारी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन बीमारियों के प्रति जनजागरूकता लाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। इस गंभीर बीमारी से निजात के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न धर्मों के धर्मालंबियों के माध्यम से आमजन में इन रोगों के प्रति जागरूकता लायी जा रही है। इस क्रम में जिला यक्ष्मा केंद्र अब मस्जिदों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने में लगा हुआ है। जिला मुख्यालय के साथ साथ अन्य प्रखंडों में स्थित मस्जिदों के इमाम की मदद से लोगों को टीबी की गंभीरता और इसके प्रति भ्रांतियों की भी जानकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जा रही है।
नमाजियों में टीबी की गंभीरता की बढ़ रही समझ:
शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र में स्थित मस्जिदों में जुम्मे की नमाज के बाद लोगों को टीबी संक्रमण के कारणों पर चर्चा की जा रही है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि टीबी से ग्रसित रोगी छह माह की दवा का सेवन कर पूरी तरह स्वस्थ्य हो सकते हैं। बशर्ते कि वह नियमित तौर पर दवा का सेवन करते रहें। शहर के बड़ी मस्जिद तथा दूसरी मस्जिदों में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। नमाजियों से टीबी संक्रमित लोगों के प्रति सहानभूति, उसके इलाज में मददगार बनने और सामाजिक बहिष्कार नहीं करने की अपील की जा रही है।
नमाजियों से सामुहिक जिम्मेदारी निभाने की अपील करते हुए टीबी के लक्षण वाले लोगों को टीबी की जांच के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की यह पहल सराहनीय :
जिला मुख्यालय स्थित बड़ी मस्जिद के सचिव दिलशाद आलम ने कहा कि टीबी को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहे हैं। इस क्रम में मस्जिदों में लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने की पहल काफी सराहनीय है। जिसमें मस्जिद कमिटी पूरा सहयोग कर रही है। इससे लोगों में टीबी की गंभीरता को लेकर समझ बढ़ेगी और वो जागरूक होंगे। मस्जिदों में लोगों को बताया जा रहा है कि जिन लोगों के घरों में 15 दिनों से अधिक खासी के मरीज हैं तो उन्हें तत्काल जांच के लिए भेजें। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की मदद से उनका नि:शुल्क जांच होगी और पुष्टि होने पर उनका इलाज भी मुफ्त होगा।
टीबी के इलाज में सबसे जरूरी है लक्षणों की पहचान :
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि टीबी के इलाज में सबसे अहम बात है लक्षणों की पहचान। यदि समय पर लक्षणों की पहचान होती है तो उचित समय पर इसकी जांच और इलाज शुरू हो जाती है। इसलिए लोगों को टीबी के लक्षणों की पहचान के संबंध में जागरूक किया जा रहा है।
जिसमें मस्जिद महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। कई लोग अज्ञानता या नासमझी के कारण अपना इलाज नहीं करा पाते। ऐसे लोग स्वयं के साथ अपने आसपास के लोगों में भी टीबी के संक्रमण का प्रसार करते हैं। जो की टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी बाधा बन सकते हैं।
ये हैं बीमारी के लक्षण
– दो सप्ताह से ज्यादा खांसी होना
– शाम के समय बुखार होना
– खांसते समय बलगम में खून आना
– सीने में दर्द होना और सांस फूलना
– गर्दन या बगल में गांठ होना
– भूख और वजन कम होना