Saturday, November 23, 2024
Patna

हाईकोर्ट ने रद्द की एक से पांचवीं तक के शिक्षकों की नियुक्ति, बिहार में बीएड पास 20 हजार टीचर अयोग्य

Patna;बिहार में बीएड पास 20 हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने क्लास 1 से 5वीं के नियोजित बीएड पास शिक्षकों को अयोग्य बताया है। इनकी नियुक्ति छठे चरण के तहत की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया है।

 

 

चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, ‘हम संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बंधे हैं। राज्य को भी इसका पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ क्लास एक से पांच तक की शिक्षक नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट फैसला सुना चुकी है। ऐसे में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है।’

 

याचिकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकील दीनू ने बताया कि कोर्ट ने आदेश में कहा है कि सरकार ने छठे चरण में क्लास एक से पांच तक के शिक्षकों की नियुक्ति में बीएड पास उम्मीदवारों की जो नियुक्ति की है, उसे रद्द करना होगा। उन नियुक्तियों को फिर से भरना होगा। फैसले में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार को एनसीटीई की साल 2010 की मूल अधिसूचना के अनुसार योग्य उम्मीदवारों को ही नियुक्त करना होगा। राज्य सरकार ये भी निर्णय लेगी कि कितने पद रिक्त हो रहे हैं और उन पदों पर रिक्तियों को कैसे भरा जाना है।

 

छठे चरण में ऐसे हुई थी नियुक्ति

 

दरअसल, बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति 2021 में गई थी। नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत बेस पर ये नियुक्ति की गई थीं। इस दौरान कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि राज्य सरकार ने एनसीटीई की 2018 की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एनसीटीई ने बीएड पास अभ्यर्थियों को क्लास एक से पांच तक के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है। तब 2021 में हाईकोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की इजाजत दे दी थी, लेकिन मामले की सुनवाई कोर्ट में चलती रही। बुधवार को मामले पर हाईकोर्ट का यह फैसला आया है।

 

 

अब जानिए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के किस आदेश को बनाया आधार

 

नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने 28 जून, 2018 में एक गजट (नोटिफिकेशन) जारी किया था। इसमें बीएड उम्‍मीदवारों को प्राइमरी एजुकेशन (कक्षा 1 से 5 तक) पढ़ाने के लिए योग्य करार दिया था। लेकिन राजस्थान सरकार ने इस नोटिस के खिलाफ केवल D.El.Ed या BTC वालों को भर्ती के लिए योग्‍य माना।

 

इसके खिलाफ B.Ed. के अभ्यर्थियों ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की। उनका कहना था कि अन्य राज्य NCTE के नॉर्म्स को तहत B.Ed. के अभ्यर्थियों को प्राइमरी शिक्षक के पदों पर बहाली दे रहे हैं, लेकिन राजस्थान सरकार उन्‍हें नौकरी नहीं दे रही। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद 25 नवंबर, 2021 को NCTE के नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया और BTC और D.El.ED अभ्यर्थियों के हक में फैसला सुनाया था।

 

इसके बाद राजस्थान के B.Ed. अभ्यार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। 11 अगस्त, 2023 सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने भी साल 2018 के NCTE नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि B.Ed. धारकों में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए जरूरी स्किल्स और अप्रोच नहीं है। फिर सभी स्टेट में यह आदेश लागू हो गया।

 

पहले भी 3.90 लाख का रिजल्ट रोक दिया था

 

बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों की भर्ती में बीएड पास वालों को इसी आधार पर रिजल्ट रोक दिया गया था। प्राइमरी (पहली से पांचवीं) में वे टीचर नहीं बन पाए। शिक्षक भर्ती में 3 लाख 90 हजार बीएड पास कैंडिडेट्स शामिल हुए थे। सिर्फ डीएलएड पास वालों का रिजल्ट घोषित किया गया था।

Kunal Gupta
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