Samastipur पहुंची लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने कहा- जनता की बात कहना नहीं है गुनाह,आप सभी अपनी आवाज बुलंद रखे
Samastipur; देश-दुनिया में चर्चित “यूपी में का बा…” फेम युवा लोक गायिका नेहा सिंह राठौड़ अपनी लोक प्रस्तुतियों के माध्यम से भोजपुरी गीतों के ‘सम्मान’ को बहाल करने के लिए लड़ रही हैं’। अपने अनोखे अंदाज़ और सत्ता से तीखे सवाल पूछने वाली प्रसिद्ध लोकगायिका नेहा सिंह राठौर अपने गीतों के जरिए नेताओं से सवाल पूछती है, सत्ता को कटघरे में खड़ा करती है, बेरोजगारी, गरीबी और अन्याय के खिलाफ सत्ता से सवाल पूछती हैं और यह सब बिल्कुल बेखौफ और बिंदास अंदाज में करती हैं।
नेहा सिंह राठौड़ समस्तीपुर जिले के ताजपुर में आयोजित ऑल इंडिया मुशायरा सह कवि सम्मेलन में शिरकत करने के लिए आईं हुई थी। इस दौरान उन्होंने खास बातचीत में बड़ी ही बेबाकी से अपनी बात रखी।
नेहा कहती हैं कि उन्होंने कभी भी गाना वायरल करने की नियत से नहीं गाया या लिखा। वह सिर्फ जन की आवाज बनना चाहती है। ईमानदारी के साथ अपना काम करती हूं। जो लोग अपनी बात कहने से डरते हैं उनकी बात गाने के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करती हूं। लगातार सरकार के चुनौती देने वाले गाने लिखने और गाने पर डर नहीं लगता के सवाल पर नेहा कहती हैं कि डर तो तब लगता जब नियम नहीं मालूम होता।
मुझे ये प्रेरणा संविधान से मिलती है, डरने की क्या जरूरत ? सरकार भी यही चाहती है कि जनता असल सवालों को भूलकर दरबारी कवियों की फर्जी कविताओं में उलझ कर रह जाए। सरकार से सवाल पूछो और भ्रमित होकर किसी के चक्कर में मत पड़ो। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा सवाल पूछती रही हूं और पूछती रहूंगी।
वक्त तो बदल गया, लेकिन वैसे लोग आज भी हैं :
नेहा सिंह राठौर ने कहा कि सरकार से सवाल पूछ रही हूं और चाहती हूं कि वह मेरे सवालों का जवाब दे। लेकिन, सरकार बहुत चालाक है। वह नहीं चाहती है कि जनता और सरकार के बीच सीधी सवाल-जवाब हो। इसलिए उसने हमारे खिलाफ कई चापलूस कवियों, दरबारी गायकों, चारणों और भाटों को लगा दिया है। सभी को पता है कि इन चापलूस कवियों और दरबारी गायकों का एक पुराना इतिहास रहा है। यह सब राजा के चरणों में बैठ कर कुछ इनाम या सिक्कों के लिए उनकी प्रशंसा में कविताएं पढ़ते हैं। वह वक्त तो बदल गया है लेकिन वैसे लोग आज भी हैं।