केके पाठक को हटाने के लिए 15 MLC पहुंचे राजभवन, एकजुट हुए बिहार के सभी राजनीतिक दल
पटना।बिहार में शिक्षा विभाग के एससकुर्सी से हटाने की मांग लगातार तेज होती जा रही है। मंगलवार को बिहार के सभी राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में राजभवन पहुंचा। 15 सदस्यों वाले इस प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शिक्षा विभाग में केके पाठक तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं।
राजभवन से मिलकर लौटे सीपीआई नेता प्रो. संजय कुमार सिंह ने कहा राज्यपाल से उनकी मुलाकात काफी बेहतर रही। उन्होंने भरोसा दिया कि इस मामले में वह कार्रवाई करेंगे। इस दौरान उन्होंने जिस केके पाठक के लिए नीतीश कुमार ने ताली बजवाई थी, आज उसी अधिकारी को सारे शिक्षक कोस रहे हैं। अब कोई उनके लिए ताली नहीं बजाएगा।
शिक्षा विभाग द्वारा पेंशन रोके जाने से नाराज एमएलसी प्रो. संजय कुमार सिंह ने कहा कि सभी जगह स्कूल खुलने का समय सुबह 9.30 होता है और शाम चार बजे छुट्टी का समय है। लेकिन बिहार में शिक्षा विभाग अलग ही आदेश जारी कर रहा है। यहां नौ बजे स्कूल खुल रहा है। शाम पांच बजे छुट्टी हो रही है।
यह लोग पहुंचे राजभवन
1. प्रो. संजय कुमार सिंह जी सी.पी.आई.
2. डा. संजीव कुमार सिंह – जदयू.
3. डॉ. मदन मोहन सिंह काँग्रेस
4. महेश्वर सिंह जी निर्दलीय
5. बीरेन्द्र नारायण यादव जी जद यु.
6. सर्वेश कुमार सिंह जी – भाजपा
7. अजय कुमार सिंह जी (मुंगेर) – राजद
8. समीर कुमार सिंह जी – कॉग्रेस
9. कुमार नागेन्द्र जी राजद
10. डॉ. संजय पासवान भाजपा
11. डॉ. सच्चिदानंद राय जी जन सुराज
12. डॉ. रामवल्ली सिंह राजद
13. प्रेमचन्द मिश्रा कांग्रेस
14. अफाक अहमद जन सुराज
15. रेखा कुमारी जदयू”
नए शिक्षकों में एक बड़ी संख्या महिलाओं की है। जिन्हें दूर देहातों में नियुक्ति दी गई है। जहां आने-जाने की सुविधा भी नहीं है। नतीजा यह हो रहा है जो महिलाएं शिक्षिका बनी हैं। उनके घर पहुंचते-पहुंचते रात हो जा रही है।नतीजा यह हो रहा है कि वह लूटी जा रही हैं। जो कहीं से भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस दौरान संजय कुमार सिंह ने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि वह राजभवन इसलिए आए हैं, क्योंकि विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों पर नियंत्रण राज्यपाल का होता है।
गौरतलब है कि बिहार के शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक जिस तरह से हर दिन नए-नए आदेश जारी कर रहे हैं। उसका असर बिहार की राजनीति पर भी नजर आने लगा है। जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केके पाठक के हर फैसले का समर्थन करते हुए नजर आते हैं। वहीं दूसरी तरफ बिहार की राजनीति में एक बड़ा वर्ग उनके खिलाफ नजर आता है। हैरानी की बात यह है कि केके पाठक का विरोध करनेवालों में न सिर्फ विपक्ष, बल्कि सत्ता पक्ष से जुड़े माननीय भी शामिल हैं।