Sunday, December 22, 2024
Patna

पटना हाईकोर्ट ने रद्द की 10 साल पुरानी पकड़ौआ शादी,कहा मांग में जबरिया सिंदूर… ये शादी नहीं मानी जाएगी

Patna हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी महिला के माथे पर जबरदस्ती सिंदूर लगाना हिंदू कानून के तहत विवाह नहीं है। एक हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है जब तक वह स्वैच्छिक न हो और ‘सप्तपदी’ (दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे लेने) की रस्म के साथ न हो। न्यायाधीश पीबी बजंथ्री ऐवं न्यायाधीश अरुण कुमार झा ने अपीलकर्ता रविकांत की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त फैसला सुनाया।

 

खंडपीठ ने पाया कि अपीलकर्ता रविकांत जो उस समय सेना में एक सिग्नलमैन था, उसे बंदूक की नोक पर 10 साल पहले बिहार के लखीसराय जिले में अपहरण कर लिया गया था और प्रतिवादी दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था।

 

 

 

 

‘दुल्हन यह साबित करने में विफल रही कि…’

 

खंडपीठ ने कहा कि प्रतिवादी दुल्हन यह साबित करने में विफल रही कि सप्तपदी का मौलिक अनुष्ठान “कभी पूरा हुआ था और इस तरह, कथित विवाह कानून की नजर में अमान्य है”। कोर्ट ने “जबरन” विवाह को यह देखते हुए रद्द कर दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम के प्रविधानों के अवलोकन से, यह स्पष्ट है कि विवाह तब पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है जब पवित्र अग्नि के चारों ओर दूल्हा और दुल्हन फेरा लेते हैं। इसके विपरीत, यदि ”सप्तपदी” नहीं है तो शादी पूरी नहीं मानी जाएगी।

 

 

 

 

 

अपीलकर्ता को उसके चाचा के साथ 30 जून 2013 को बंदूक की नोक पर अपहरण कर लिया गया था, जब वे लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में प्रार्थना करने गए थे। इसके बाद उसे उसी दिन प्रतिवादी लड़की को सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया।

 

 

 

रवि के चाचा ने जिला पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, जिन्होंने कथित तौर पर उनकी सुनवाई नहीं की। इसके बाद, अपीलकर्ता द्वारा लखीसराय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष एक आपराधिक शिकायत दायर की गई। रवि ने अपनी जबरन शादी को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट में मामला भी दायर किया, जिसने 27 जनवरी, 2020 को उसकी याचिका खारिज कर दी।

 

 

 

न्यायाधीश बजनथ्री ने कहा कि पारिवारिक अदालत के निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण थे और उन्होंने इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त किया कि न तो प्रतिवादी दुल्हन की ओर से मौखिक साक्ष्य देने वाले पुजारी को “सप्तपदी” के बारे में कोई जानकारी थी और न ही वह उस स्थान के बारे में बताने में सक्षम थे जहां दुल्हन के संस्कार किए गए थे और कथित विवाह संपन्न कराया गया।

Kunal Gupta
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