गोवर्धन पूजा:अनुराधा नक्षत्र में शोभन योग का हो रहा निर्माण, भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों की बचाई थी जान,जाने शुभ मुहूर्त
Patna:-गोवर्धन पूजा की जाती है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। पंडित कमल कांत झा ने बताया कि इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर को दोपहर 2:56 से हो रही है और समापन अगले दिन 14 नवंबर को दोपहर 2:36 पर होगा।
अगले दिन उदया तिथि होने के कारण गोवर्धन पूजा का पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 6:43 बजे से 08:52 बजे के बीच है। इस दिन शोभन योग और अनुराधा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है।
गोवर्धन पूजा की विधि
इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गौ माता की विशेष पूजा करते हैं। गोवर्धन पूजा श्री कृष्ण को समर्पित होती है। सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। इस दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है। फिर भगवान की आरती करें।
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था। श्रीकृष्ण ने लोगों से भगवान इंद्र की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा था। जब यह बात देवराज इन्द्र को पता चली तो उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और फिर गुस्से में गोकुल वासियों पर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी।
इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर सभी गोकुल वासियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। तभी से इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।