घाटों पर उमड़ी व्रतियों की भीड़,नहाय-खाय के साथ आज से छठ पूजा की शुरुआत,जानिए क्या है खास
patna:लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान आज नहाय-खाय से शुरू हो गया है। इस दिन छठ व्रती प्रात:काल उठकर स्नान करके नए वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित कर सात्विक भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।छठ पर्व मुख्य रूप से भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा बताते हैं कि छठ पर्व की शुरुआत रवि योग में हो रही है और समापन ध्रुव योग में होगा।
नहाय-खाय में लहसुन-प्याज का नहीं होता इस्तेमाल
छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय है। नहाय-खाय के दिन भोजन में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चटनी, पापड़, तिलोरी, आदि बनता है, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।नहाय खाय के दिन बनाया गया खाना सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं और पुरुषों को परोसा जाता है। इसके बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद के सेवन का भी खास महत्व है।
कद्दू भात खाने का क्या महत्व है?
नहाए खाए के दिन छठ व्रत करने वाली महिलाएं सबसे पहले सुबह स्नान कर नए वस्त्र पहनती हैं। कद्दू यानी लौकी और भात यानी चावल का प्रसाद बनाती हैं। इस प्रसाद को खाने के बाद ही छठ व्रत की शुरुआत हो जाती है।
ऐसा माना जाता है कि मन, वचन, पेट और आत्मा की शुद्धि के लिए छठ व्रतियों का पूरे परिवार के साथ कद्दू-भात खाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अलावा कद्दू खाने के और भी बहुत सारे फायदे हैं। जैसे कि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। जिससे इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है।
36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं व्रती
छठ व्रत को काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि व्रती महिलाएं और पुरुष करीब 36 घंटे तक निर्जला उपवास करते हैं। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय-खाय से छठ व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धा पूर्वक व्रत-उपासना करते हैं। इस पर्व को करने से संतान की प्राप्ति होती है। वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है।