छठ पूजा;प्रकृति के सबसे करीब है यह पर्व:44 प्राकृतिक चीजों से तैयार होता है अर्घ्य देने का एक सूप
पटना.लोकपर्व छठ प्रकृति के सबसे करीब माना जाता है। जिस सूप से भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है, उसे सजाने में 44 तरह की पूजन सामग्रियों का उपयोग होता है। इनमें फल, कुछ सब्जियां, ठेकुआ समेत अन्य पूजन सामग्रियां होती हैं। इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि पूजन सामग्रियों में ज्यादातर चीजें प्राकृतिक हो, कृत्रिम नहीं। इस संदर्भ में दैनिक भास्कर ने धर्म शास्त्र के ज्ञाता और मेडिकल साइंस के जानकार चिकित्सक से बात भी की। दोनों की बातों में काफी कुछ समानता थी।
धार्मिक महत्व : मानव से लेकर पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं का जीवन सूृर्य पर आधारित है। छठ महापर्व में व्रती प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सामग्रियांं सूर्यदेव को अर्पित करते हैं। प्रार्थना करते हैं कि आरोग्यता के साथ मानव जीवन में उपयोगी सभी वस्तुओं की रक्षा हो। इसीलिए सूप में प्रकृति प्रदत सभी चीजों का उपयोग किया जाता है।- आचार्य डॉ. राजनाथ झा, निदेशक, ज्योर्तिवेद विज्ञान केंद्र
चिकित्सकीय महत्व : छठ का प्रसाद बनाने में स्ट्रीम लेवल का हाईजीन मेंटेन होता है। सीजनल फलों से अर्घ्य दिया जाता है, जिससे हर तरह के विटामिंस, फाइबर के साथ इंस्टेंट एनर्जी प्राप्त होती है। आटा, गुड़, घी आदि से तैयार होने वाले ठेकुआ में हाई कैलोरी और एनर्जी प्रिजर्व रहती है। फाइबर की मात्रा ज्यादा रहती है। इससे पेट भी भरता है और इंस्टेंट एनर्जी मिलती है। नेचुरल ईंधन, चूल्हे, कड़ाही आदि का उपयोग होता है। इससे शरीर में लवण पदार्थ की पूर्ति होती है। -डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरीय फिजिशियन
सूप की पूजन सामग्री
फल : नारियल, गागल नींबू, ईख, सेब, नाशपाती, केला, संतरा, शरीफा, अनार, अमरूद, शकरकंद, सूथनी, हल्दी, अदरख, पानी फल सिंघाड़ा, अमरस, अनानास, कोहड़ा, मूली।
नैवेद्य : ठेकुआ और कचवनिया।
अन्य : लौंग, इलायची, पंचमेवा, नारियल गड़ी गोला, छुहारा, अरता, बद्धि, सिंदूर, चंदन, कुमकुम, रोड़ी, पान का पत्ता, कसैली, अक्षत, फूल, कलावा, धूप, दीप, अगरबत्ती, साड़ी, गमछा।
पूजा में प्रयुक्त होने वाले अन्य सामान
सूप, बांस का डाला, बांस की टोकरी, नए गेहूं और चावल (ठेकुआ व प्रसाद के लिए) गंगा जल, दूध, लोटा, ग्लास, थाली, गुड़, चीनी, मिठाई, शहद, काले छोटे चने सूजी, मैदा, धूपबत्ती, कुमकुम, कपूर, पीला सिंदूर, चंदन, राेड़ी, कपूर, धूप, अक्षत, मिट्टी के दीपक, चौमुखी दीप, रूई, बत्ती, घी आदि।